बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बार काउंसिल में पिछले 6 सालों से चुनाव नहीं होने को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने 18 फरवरी 2025 को हुई सुनवाई के बाद दिए आदेश के परिपालन के बारे में पूछा और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिवक्ता के माध्यम से शपथपत्र दाखिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बैंच में सुनवाई के दौरान पूर्व आदेश में राज्य बार काउंसिल ऑफ छत्तीसगढ़ और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सचिव से मांगे गए हलफनामे के बारे में जानकारी ली। जिस पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सचिव द्वारा शपथपत्र डिस्पैच किए जाने की जानकारी दी गई, जिसकी प्राप्ति नहीं हुई है। इस बात पर बैंच ने नाराजगी जताई। दरअसल 18 फरवरी 2025 को सुनवाई में डिवीजन बैंच ने आदेश दिया था कि नियमों/अधिसूचनाओं या बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बीसीआई नियमों में लाए गए किसी भी संशोधन को ठीक से पढ़ें और अगली सुनवाई की तिथि पर उचित प्रस्तुतिकरण करें, ताकि चुनाव कार्यक्रम अद्यतन नियमों/अधिसूचना के अनुसार तैयार किया जा सके और कोई अनावश्यक स्थगन न मांगा जाए। वहीं सचिव, बार काउंसिल ऑफ इंडिया से शपथ पत्र के रूप में स्पष्टीकरण मांगा था कि 30 जनवरी 2015 की अधिसूचना द्वारा बी.सी.आई. नियमों में लाए गए संशोधनों को छत्तीसगढ़ राज्य बार काउंसिल को प्रसारित/अग्रेषित नहीं किया तथा विभिन्न प्रकाशनों में इसे प्रचारित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। इस अधिसूचना द्वारा बी.सी.आई. नियमों में लाए गए संशोधन का चुनाव कार्यक्रम तैयार करते समय ध्यान नहीं रखा गया है। इस लिए राज्य बार काउंसिल ऑफ छत्तीसगढ़ सचिव से भी 30.01.2015 की अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए एक नया शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। वहीं ये भी कड़ी टिप्पणी की थी कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस याचिका में शामिल मुद्दे को बहुत ही लापरवाही से लिया है और 02 फरवरी 2021 के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बार काउंसिल के चुनाव नहीं कराए हैं, जब अंतिम निर्वाचित निकाय का कार्यकाल समाप्त हो गया था। यह उम्मीद की जाती है कि दोनों निकायों यानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया और छत्तीसगढ़ राज्य बार काउंसिल के सचिवों के बीच उचित विचार-विमर्श के बाद नया हलफनामा दायर किया जाए, ऐसा न करने पर दोनों के खिलाफ यह प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाएगा कि दोनों ही निकाय उन कारणों से चुनाव नहीं कराना चाहते हैं, जो उन्हें ही सबसे अच्छी तरह से ज्ञात हैं।

छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल का बीते छह साल से चुनाव नहीं हो पाया है। निर्वाचित पदाधिकारियों के नहीं होने से अधिवक्ताओं के वेलफेयर से लेकर जरुरी काम अटका पड़ा हुआ है। इस मामले को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इसे स्वत:संज्ञान में लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस पूरे मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के शपथपत्र पेश नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है। वहीं शपथ पत्र मिल जाने के बाद सुनवाई सुनिश्चित की है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 6 मार्च की तिथि तय कर दी है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief