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July 2, 2025 6:51 am

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ठंड के मौसम में जंगल सफारी लाए जा रहे हिमालयन भालू की गर्मी से मौत? वन विभाग के दावे पर उठे सवाल

रायपुर। एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नागालैंड जूलॉजिकल पार्क, दीमापुर से जंगल सफारी रायपुर लाए जा रहे हिमालयन ब्लैक भालू की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। वन विभाग ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में जांच के दौरान वाहन के घंटों फंसे रहने और गर्मी के कारण भालू की मृत्यु हो गई, लेकिन इस दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन विभाग के दावे को खोखला और भ्रामक करार देते हुए कहा कि जिस वाहन में भालू लाए जा रहे थे, उसे रोकने का कोई कारण नहीं था, क्योंकि वाहन के पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद थे।

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वन विभाग का दावा खोखला?

वन विभाग का कहना है कि पश्चिम बंगाल में वन्यजीव तस्करी की आशंका के चलते वाहन को रोका गया, जिससे भालू गर्मी से मर गया। इस पर सवाल उठाते हुए सिंघवी ने कहा कि यदि वाहन को रोका गया था तो छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल प्रशासन से बात कर हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब हिरणों को ले जाया गया था, तब किसी तरह की चेकिंग नहीं हुई, फिर भालू को लाने में ऐसा क्यों हुआ?

गर्मी से मौत की थ्योरी पर संदेह

सिंघवी ने वन विभाग की इस दलील को भी खारिज किया कि भालू की मौत गर्मी से हुई। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व से लेकर छत्तीसगढ़ तक तापमान इतना अधिक नहीं था कि हिमालयन भालू की मौत गर्मी के कारण हो जाए। 2014 में जब भीषण गर्मी के दौरान असम से भालू ट्रेन के जरिए लाए गए थे और हावड़ा में 12 घंटे तक ट्रेन रुकी रही थी, तब भी कोई भालू नहीं मरा था।

उन्होंने सवाल उठाया कि यदि गर्मी से बचाव का पर्याप्त इंतजाम नहीं था तो फिर हिमालयन भालू को वातानुकूलित वाहन में क्यों नहीं लाया गया? नागालैंड से निकलने से पहले भालू पूरी तरह स्वस्थ था, फिर रास्ते में क्या हुआ?

सीसीटीवी फुटेज से खुल सकती है सच्चाई

सिंघवी ने कहा कि वन्यजीव परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों में सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं, जिनका लाइव फीड अधिकारियों के पास उपलब्ध होता है। यदि भालू की तबीयत खराब हो रही थी, तो किसी ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया? उन्होंने मांग की कि सीसीटीवी फुटेज की जांच कर पूरी सच्चाई सामने लाई जाए।

डॉक्टर की भूमिका पर सवाल

सिंघवी ने इस पर भी सवाल उठाया कि क्या डॉक्टर वाहन के साथ मौजूद थे या नहीं? एक वायरल वीडियो के अनुसार, चेकिंग के दौरान कोई वरिष्ठ डॉक्टर वाहन के साथ नहीं दिखा और केवल ढाई मिनट में वाहन को आगे बढ़ा दिया गया। उन्होंने मांग की कि टोल नाकों पर लगे सीसीटीवी कैमरों से यह जांच होनी चाहिए कि डॉक्टर वाहन के साथ चल रहे थे या नहीं।

डॉक्टर का हवाई जहाज से लौटना भी संदेह के घेरे में

इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई कि जंगल सफारी से जब हिरण ले जाए गए, तब एक डॉक्टर उनके साथ गया और दूसरा हवाई जहाज से लौटा। इसी तरह, जब भालू लाए गए तो एक डॉक्टर उनके साथ आया और दूसरे ने दावा किया कि वह हवाई जहाज से आया। जबकि अधिकारियों का कहना है कि दोनों डॉक्टर भालू के साथ थे। सिंघवी ने पूछा कि आखिर सच क्या है?

मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग

नितिन सिंघवी ने पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि हिमालयन भालू की मौत किन परिस्थितियों में हुई और इसमें कौन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के परिवहन में इस तरह की लापरवाही गंभीर अपराध है और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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