नयी दिल्ली।केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ ने देश में हाईब्रिड बंदरगाह सुरक्षा मॉडल विकसित करने की दिशा में निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है।
यह पहल मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण जेएनपीटी और चेन्नई बंदरगाह प्राधिकरण सीपीए में एक साथ शुरू की गई। इसका उद्देश्य निजी सुरक्षा कर्मियों की क्षमता बढ़ाना सुरक्षा प्रोटोकॉल को मानकीकृत करना और अंतरराष्ट्रीय जहाज एवं बंदरगाह सुविधा सुरक्षा आईएसपीएस संहिता का अनुपालन सुनिश्चित करना है।
भारत में करीब 200 छोटे और मध्यम बंदरगाह हैं, जिनमें से 65-68 ही सक्रिय रूप से कार्गो संचालन में शामिल हैं। वर्तमान में सीआईएसएफ 13 प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा करता है, जबकि छोटे बंदरगाहों पर निजी एजेंसियों की जिम्मेदारी होती है।
दो सप्ताह का बंदरगाह सुविधा सुरक्षा पाठ्यक्रम सीआईएसएफ ने जहाजरानी महानिदेशालय और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर तैयार किया है। इसमें बंदरगाह संचालन खतरे की पहचान आपातकालीन प्रतिक्रिया कानूनी पहलू, तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल और आईएसपीएस मानक शामिल किए गए हैं।
पहले चरण में जेएनपीटी शेवा, दींडयाल पोर्ट कांडला और एनएमपीए मुंबई के 40 निजी सुरक्षा कर्मियों ने मुंबई स्थित प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला लिया है। वहीं, न्यू मैंगलोर पोर्ट अथॉरिटी एनएमपीए कामराजार पोर्ट लिमिटेड केपीएल एनोर, सीपीए और वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट अथॉरिटी वीओसीपीए तूतीकोरिन से 26 निजी सुरक्षा कर्मियों ने चेन्नई केंद्र में नामांकन कराया है।
सीआईएसएफ ने कहा कि यह प्रशिक्षण कक्षा शिक्षण और व्यावहारिक अभ्यास दोनों को जोड़ता है ताकि कर्मियों को सुरक्षा घटनाओं का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तैयार किया जा सके। बल आने वाले महीनों में इस कार्यक्रम को अन्य बंदरगाहों तक विस्तारित करेगा।
सीआईएसएफ के अपर महानिदेशक दक्षिण पी. एस. रणपिसे ने कहा यह पहल हाईब्रिड पोर्ट सिक्योरिटी मॉडल को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है। इससे निजी सुरक्षा कर्मियों की क्षमता बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित होगा।
चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष सुनील पालीवाल ने इसे बंदरगाह सुरक्षा प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति बताया।
सीआईएसएफ दक्षिण खंड मुख्यालय के महानिरीक्षक सरवनन ने कहा कि जटिल बंदरगाह वातावरण के अनुरूप प्रशिक्षण देकर सुरक्षा कर्मियों को पेशेवर ढंग से तैयार किया जा रहा है, जिससे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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