बिलासपुर। त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होने लगी है। 17 सीटों वाली बिलासपुर जिला पंचायत में कब्जे को लेकर अब सियासी दांव-पेंच शुरू होगा। जिला पंचायत के सदस्यों के बीच से अध्यक्ष तय होना है। इसे देखते हुए अब जिला पंचायत सदस्यों की संख्या बल को लेकर चर्चा होने लगी है। दो चरणों में जिन 10 सीटों के परिणाम सामने आए थे उसमें सत्ताधारी दल भाजपा व विपक्षी कांग्रेस के बीच अमूमन बराबरी की स्थिति देखी जा रही थी। पांच भाजपा व कांग्रेस के चार सदस्यों ने जीत दर्ज की है। एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की है। निर्दलीय सदस्य की गिनती कांग्रेस के ही खाते में होगी।

रणनीतिकार इसलिए बराबरी की स्थिति मानकर चल रहे हैं। सात सीटों के नतीजे आना शेष है। पांच साल पहले के राजनीतिक परिस्थितियों पर नजर डालें तो जिला पंचायत में कांग्रेस का कब्जा था। कांग्रेस ने अरुण सिंह चौहान को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया और कुर्सी पर बैठाया। राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही कुर्सी बचाने के फेर में अरुण सिंह चौहान ने अपनी सियासी निष्ठा बदली और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में शामिल होते ही उसे अभयदान भी मिल गया। पहले कांग्रेस के कब्जे वाली जिला पंचायत में अध्यक्ष चौहान द्वारा निष्ठा बदलते ही भाजपा का कब्जा हो गया। देखने वाली बात ये होगी इस बार किस दल का कब्बा होता है।

अजा के लिए रिजर्व है अध्यक्ष की कुर्सी
आरक्षण पर गौर करें तो बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। चंद्रभान धृतलहरे के बद यह दूसरी मर्तबे होगा जब अध्यक्ष के पद पर अजा वर्ग के जिला पंचायत सदस्य को ग्रामीण सरकार चलाने का मौका मिलेगा।
ये रहे जिला पंचायत के अध्यक्ष
अंजना मुलकलवार,चंद्रभान धृतलहरे,नारायण वर्मा,मुनीराम साहू,अंजना मुलकलवार, कार्यकारी अध्यक्ष भुनेश्वर यादव,दीपक साहू, अरुण सिंह चौहान।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief