बिलासपुर। आर्य समाज के नाम पर प्रदेश में दो दर्जन से अधिक संस्थाएं संचालित की जा रही हैं। ये संस्थाएं अनुष्ठान और शादियां भी करा रही हैं, जबकि इसके लिए मान्यता भी नहीं मिली है। इसे लेकर छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आर्य समाज के नाम पर संचालित गैर-संबद्ध संस्थानों सहित राज्य शासन व रजिस्ट्रार फर्म साेसायटी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
याचिका में ऐसे 22 संस्थाओं को पक्षकार बनाया गया है। 22 में से 10 संस्थाएं सिर्फ रायपुर में संचालित हो रही हैं। दुर्ग में पांच और बिलासपुर में ऐसी तीन संस्थाएं संचालित की जा रही हैं।

याचिका में कहा है कि आर्य समाज के संचालन की त्रिस्तरीय संरचना है। केंद्रीय स्तर पर सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, प्रांतीय स्तर पर सार्वदेशिक प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा और जिला स्तर पर संबद्ध आर्य समाज कार्यरत हैं। छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा राज्य में आर्य समाज मंदिरों की देखरेख और मान्यता देने वाली पंजीकृत संस्था है। हाल के वर्षों में यह सामने आया कि कुछ संस्थाएं बिना संबद्धता के आर्य समाज के नाम पर विवाह करवा रही हैं। याचिका में कहा कि रजिस्ट्रार, फर्म एक सोसायटी ने छत्तीसगढ़ सोसायट रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 विपरीत कई संस्थाओं का पंजीकरण किया है। इनमें आर्य समाज के नाम का अवैध रूप से उपयोग किय गया है। इन संस्थाओं का उद्देश्न केवल विवाह के व्यापार से अवै रूप से धन कमाना है। हाई कोर्ट राज्य सरकार, रजिस्ट्रार, फर्म एक सोसायटी के साथ प्रदेश में संचालित 22 गैर-संबद्ध संस्थानों को नोटिस जारी किया है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief