रायपुर। आयकर विभाग की बीते दो दिनों से चले सर्वे के दौरान जेएईएस में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। जांच पड़ताल के दौरान इस बात का खुलासा हुआ है कि कंपनी ने 32 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की है। कंपनी के निदेशकों ने भी टैक्स चोरी की बात को कुबूल किया है। कर कानूनों की खामियों के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। आयकर विभाग ने हाई रिफंड का मामला करार दिया है। बड़ी गफलत के आरोप में आईटी ने कंपनी पर 25 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है।
टैक्स चोरी के लिए कंपनी के निदेशकों ने अपने अधिनस्थ कई डमी कंपनियों बनाई।
बीते 24 घंटे लंबी गहन और सूक्ष्म जांच के बाद, आयकर विभाग की असेसमेंट विंग ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज प्रोजेक्ट्स (आई) प्रा. लि. (जेएईएस) में 32 करोड़ रुपये की कर चोरी का खुलासा किया है। जांच में बोगस खर्च, फर्जी कटौतियां और कर देनदारी को कृत्रिम रूप से कम करने के लिए फर्जी बिलिंग जैसी गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई है। इस तरह की अनियमितता कंपनी के निदेशकों ने सरकार से धोखाधड़ी कर रिफंड प्राप्त करने के लिए की।
हाई रिफंड मामला घोषित
आयकर अधिकारियों ने वित्तीय विवरणों की बारीकी से जांच की, जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है। इसके चलते जेएईएस को ‘हाई रिफंड’ मामला घोषित किया गया, जो कर कानूनों की खामियों का दुरुपयोग कर अनुचित कर लाभ उठाने की साजिश को दर्शाता है। जांच में डिजिटल रिकॉर्ड और भौतिक दस्तावेजों की बरामदगी से फर्जी व्यय लॉग, बोगस बिलिंग तंत्र और आय को छिपाने के सुनियोजित प्रयासों का पर्दाफाश हुआ।

इस तरह का चला आईटी का सर्वे
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133(A)(1) के तहत बुधवार दोपहर से शुरू होकर गुरुवार देर रात अफसरों ने सर्वे किया। इस पूरे अभियान की निगरानी मुख्य आयकर आयुक्त (सीसीआईटी) अपर्णा करन और प्रधान आयकर आयुक्त (पीसीआईटी) प्रदीप हेडाउ ने की। संयुक्त आयकर आयुक्त बीरेंद्र कुमार और उप आयकर आयुक्त राहुल मिश्रा ने 26 सदस्यीय प्रवर्तन दल का नेतृत्व किया, जिसमें 20 कर जांचकर्ता और 6 सशस्त्र पुलिसकर्मी शामिल थे, ताकि कार्रवाई निर्बाध रूप से संचालित की जा सके।
दो निदेशकों ने कर चोरी का मामला किया स्वीकार
आयकर विभाग की असेसमेंट विंग से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जेएईएस निदेशक धर्मेंद्र सिंह, जोगेंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह से गहन पूछताछ की गई। दोनों ने 32 करोड़ रुपये की कर चोरी की बात स्वीकार की। इसके चलते, उन पर 10.75 करोड़ रुपये का अग्रिम कर लगाया गया है। 25 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना अब भी बकाया है। जेएईएस पर 11 करोड़ रुपये का कर देय है।”
ऐसे खुलासा हुआ टैक्स चोरी का मामला
आयकर अधिकारियों ने लेनदेन विसंगतियों, राजस्व असमानताओं और अघोषित व्ययों को बारीकी से ट्रैक किया। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जेएईएस ने अपनी वास्तविक आय को छिपाया और व्यय को कृत्रिम रूप से बढ़ाया है। इसके अलावा फर्जी कटौतियां दिखाकर कर देनदारी कम करने का प्रयास किया। विशेष रूप से, नकदी सृजन के लिए बोगस खर्च को वित्तीय विवरणों में हेरफेर करने का मुख्य साधन बनाया गया था।
इन कंपनियों पर आईटी का राडार
जांच के दौरान जेएईएस निदेशकों के स्वामित्व वाली कई डमी कंपनियां सामने आईं, जिनमें मां मदवारानी कोल बेनेफिशिएशन प्रा. लि., फेसिक फोर्जिंग प्रा. लि., अरंश प्रोजेक्ट्स प्रा. लि., किंग रिसोर्सेज प्रा. लि., प्रगति ट्रांसमूवर्स प्रा. लि., जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज प्रा. लि., जय अंबे रोडलाइंस प्रा. लि., यूनाइटेड इमरजेंसी सॉल्यूशंस प्रा. लि. और जय अंबे एक्जिजेंसी सर्विसेज प्रा. लि., अचकन्न क्लोदिंग प्रा. लि., डिलिजेंस ग्लोबल प्रा. लि. और डिलिजेंस हेल्पिंगहैंड फाउंडेशन शामिल हैं। इन कंपनियों की और गहन जांच की जाएगी, जो सर्वे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों पर आधारित होगी।

कार्पोरेट टैक्स चोरी पर तीरछी नजर
आयकर विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि कॉर्पोरेट कर चोरी को लेकर कड़ी निगरानी जारी रहेगी। जेएईएस मामला उन कंपनियों के लिए नजीर बनेगा, जो कर बचाने के लिए अवैध वित्तीय तंत्रों का दुरुपयोग कर रही हैं।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief