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January 22, 2025 8:22 pm

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आईपीएस जीपी सिंह की पत्नी के ऊपर एसीबी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के केस को हाईकोर्ट ने किया रद्द

बिलासपुर. आईपीएस जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज किए आय से अधिक संपत्ति के मामले को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त एफआईआर मानते हुए रद्द कर दिया है।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह के अलावा उनकी पत्नी के खिलाफ पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज करवाए गए एंटी करप्शन ब्यूरो में आय से अधिक संपत्ति के मामले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच से यह आदेश जारी हुए है। बता दे कि जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति समेत राजद्रोह और एक्सटॉर्शन से संबंधित तीन अपराध पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में दर्ज करवाए गए थे। जिसे हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने पूर्व में ही पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर गलत तरीके से दर्ज एफआईआर मान निरस्त कर दिया था। अब उनकी पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ भी दर्ज एफआईआर रद्द कर दी गई है।

एडीजी जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ कांग्रेस सरकार में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने ऐसे अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट 12 और आपराधिक षडयंत्र की धारा 120 बी दर्ज किया था। मामले में एसीबी ने कथित तौर पर स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर मणिभूषण से दो किलो सोना जब्त किया था। यह सोना पार्किंग में खड़ी स्कूटी से जप्त किया गया था। इस स्कूटी को मणिभूषण का बताया गया और दो किलो सोना को आईपीएस जीपी सिंह के अवैध कमाई का हिस्सा बताया गया जिसे खपाने के लिए अपने परिचित में स्टेट बैंक के मैनेजर मणि भूषण को देने की कहानी एसीबी द्वारा बनाई गई थी।

उक्त मामले में जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला एसीबी द्वारा तो दर्ज किया ही गया था साथ में उनकी पत्नी और माता–पिता और पारिवारिक मित्र के खिलाफ भी दर्ज किया गया था। जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने रद्द कर दिया था। जबकि उनके माता-पिता का देहावसान हो चुका है जिसके चलते उनके माता-पिता के ऊपर केस खत्म हो चुका है। जीपी सिंह के पिता माइनिंग इंजीनियर थे और उनकी खुद की माइनिंग कंसल्टेंसी फर्म थी। पर उनकी इनकम को उनकी संपत्ति में अकाउंट नहीं किया गया था।

चीज जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में जीप सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने तर्क प्रस्तुत किया कि मनप्रीत कौर विभिन्न प्राइवेट कॉलेजों में बतौर गेस्ट लेक्चरर कार्य करती थीं। मनप्रीत कौर की क्वालिफिकेशन एमएससी लाइफ साइंस के अलावा लाइफ साइंस में पीएचडी भी है। उनकी पीसी कल्चर में स्पेशलाइजेशन है। इसके अलावा उन्होंने मा इंग्लिश ऑनर्स किया था। शादी से पहले उन्होंने ट्यूशन और नौकरी के माध्यम से कमाए गए पैसों से सेविंग की थी। शादी के बाद उन्होंने एजुकेशनल कंसलटेंट और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की क्लासेस शुरू की थी। सन 2001 से लेकर 2021 तक उनके पति जीपी सिंह जहां-जहां पदस्थ रहे वहां विभिन्न कॉलेजों में उन्होंने मेहमान प्रवक्ता के तौर पर नौकरी की है जिससे उन्हें आय प्राप्त हुई। इसके अलावा कंसल्टेंसी से भी उन्हें आय प्राप्त हुई। उनकी उनके पति जीपी सिंह के अलावा इंडिविजुअल इन इनकम है। उन्होंने नियमित तौर पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत 2001 से अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भरा है। पर उनकी 10 साल की इनकम को एसीबी ने काउंट ही नहीं किया। ना ही एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन्हें इस संबंध में कोई समन भेजा और न उनका पक्ष। बिना समन और बिना पक्ष जाने उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए अपने पति आईपीएस जीपी सिंह को उकसाने के लिए आरोपी बना दिया गया।

याचिकाकर्ता मनप्रीत कौर की तरफ से उनके अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति जीपी सिंह एसीबी/ ईओडब्लू के आईजी के पद पर पदस्थ थे। 27 फरवरी 2019 को नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की दुबारा जांच के लिए उनके पति को एसआईटी का चीफ बनाया गया था। जब यह घोटाला उजागर हुआ था तब उसमें दो डायरी बरामद हुई थी उसमें सीएम सर और सीएम मैडम जैसे कुछ कोडवर्ड थे। जिसकी पूरी जांच के बाद 6 जून 2015 को चलन ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत हो चुका था। पर इस मामले में 27 फरवरी 2019 को फिर से एसआईटी बनाई गई। जिसके हेड उनके पति आईजी जीपी सिंह थे। उनके ऊपर तत्कालीन सरकार के द्वारा प्रेशर डाला गया कि भाजपा के प्रभावशाली नेताओं और उनके परिवार का नाम आरोपी के तौर पर एसआईटी जांच में लाया जाए और नान घोटाले में भाजपा के प्रभावशाली नेताओं और उनके परिवार को आरोपी बनाया जाए। पर जीपी सिंह ने इनलीगल काम करने से मना कर दिया इसलिए टारगेट करके उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए और उनके परिवार को भी आरोपी बनाया गया।

इसके अतिरिक्त स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर मणि भूषण से जो 2 किलो सोना मिलने की बात कही जा रही है उसे जीपी सिंह और उनके परिवार को बताया जा रहा है यह बात भी गलत है। मणि भूषण स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के ब्रांच मैनेजर होने के अलावा साइबर मामलों के एक्सपर्ट थे। जिसके चलते पुलिस विभाग विभिन्न मामलों में साइबर संबंधी सुझाव लेने हेतु मणि भूषण की सेवाएं जीपी सिंह से पहले भी पूर्व में भी लेती रही है। अन्य पुलिस अफसरों की तरह जीपी सिंह ने भी उनकी सेवाएं विभिन्न आपराधिक मामलों में विभिन्न जगहों पर पदस्थ रहते हुए ली है। इसके अतिरिक्त उनका कोई भी संबंध मणि भूषण से नहीं है। उनकी पार्किंग में खड़ी स्कूटी से बरामद सोना जीपी सिंह का बताया जा रहा है जबकि जीपी सिंह और उनके परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

इसके अलावा अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने बताया कि भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य आरोपी याचिकाकर्ता मनप्रीत कौर के पति आईपीएस जीपी सिंह को बनाया गया था। जिसे माननीय अदालत ने ही रद्द कर दिया है। लिहाजा याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला बने रहने का और ट्रायल चलाने का कोई औचित्य नहीं बनता। सभी तर्कों को सुनने के पश्चात चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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