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July 2, 2025 6:06 am

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सकरी कॉलेज के लेखापाल  प्रदीप साहू   के नोट शीट  से प्राचार्य  प्रवीण कुमार पांडेय ने जनभागीदारी मद से  आयुक्त उच्च शिक्षा  का उल्लेख करते हुये पचास हजार रूपये निकाल लिए ,वित्तीय गड़बड़ी का आरोप

  •  बिलासपुर। सकरी कॉलेज के लेखापाल  प्रदीप साहू   के नोट शीट  से सकरी कॉलेज के प्राचार्य  प्रवीण कुमार पांडेय ने जनभागीदारी मद से  आयुक्त उच्च शिक्षा  का उल्लेख करते हुवे 50000(पचास हजार रूपये ) निकाल लिए,जबकि जनभागीदारी  प्रभारी   प्रोफेसर शुक्ला तथा जनभागीदारी अध्यक्ष को भनक तक नहीं लग पाया
    वित्तीय अनियमितता  जनभागीदारी अध्यक्ष ने वित्तीय चार्ज देने के पहले पकड़ा . मामला तूल पकड़ेगा।
    मिली जानकारी के मुताबिक  नवीन शासकीय महाविद्यालय सकरी   विगत 2021को प्रारंभ हुआ है। यह महाविद्यालय   स्कूल के पुरानी जर्जर बिल्डिंग में संचालित है। महाविद्यालय में टीचिंग स्टॉफ पूरी तरह भरी हुई है,। कक्षाएं नियमित रूप से संचालित है किंतु छात्र/छात्राओं के पास बैठने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं हैं।टाइम टेबल के अनुसार कक्षाएं 10.30सुबह से संचालित होती हैं पर  जिन कक्षाओं में क्लास लगनी होती है,उनमें प्रायमरी स्कूल के बच्चे पढ़ते हुए मिलते हैं,किसी प्रकार से 11.30में ये कक्षाएं  खाली मिल पाती हैं तब कहीं कॉलेज की पढ़ाई शुरू होती हैं। उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने इस महाविद्यालय का  संचालन का अतिरिक्त प्रभार  अपर संचालक बिलासपुर संभाग उच्च शिक्षा को दे रखा था,फिर भी महाविद्यालय के छात्र/छात्राएं    पुस्तकों,लाइब्रेरी कार्ड,आइडेंटी कार्ड , टी सी के लिए भटक रहे थे,बिजली , पंखा,पानी की अव्यवस्था तो बनी ही थी,पर किसी तरह विधायक महोदय   के संज्ञान में यह बात आने पर  उन्होंने अपने विधायक मद की 10,लाख की राशि स्वीकृत कर  पानी और प्रसाधन की समस्या को दूर कर दिया।जब प्राचार्य पांडेय जी के पास छात्र/छात्राओं की समस्या का समाधान नहीं हुआ तब उन्होंने अपनी पीड़ा तखतपुर के विधायक  धर्मजीत सिंह  को तथा जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष रवि मेहर   को बताई  तब परिचय पत्र ,पुस्तकें ,पानी के लिए कंटेनर उपलब्ध हो पाया।
    अगस्त 2024से   नवीन शासकीय महाविद्यालय में   विधायक  धर्मजीत सिंह  ,विधायक तखतपुर विधानसभा  ने  जनभागीदारी  समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति माननीय कलेक्टर     से शासन के निर्देश पर करा दी है।  शिक्षण सत्र 2024.25 के लिए  छात्र/छात्राओं से जनभागीदारी के नाम से प्रत्येक छात्र /छात्रा से 400रूपये की फीस ली गई है।इस महाविद्यालय में प्रायः गरीब तथा मध्यम वर्ग के छात्र/छात्राएं पढ़ने पैदल तथा साइकिल से  और  ऑटो/बस से  20..20..25..25किलोमीटर  दूर से पढ़ने आते हैं,फिर भी उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं,पंखे लटके पड़े हैं।चल ही नहीं रहे हैं, न उसे कोई सुधारने वाला भी है।आखिर जनभागीदारी मद की राशि क्यों ली जाती है?? सायकल स्टैंड के नाम पर 100रूपये क्यों ली गई छात्र/छात्राओं से??जब इस चीज का तहकीकात करने अचानक  23और 25तारीख को महाविद्यालय का औचक निरीक्षण करने जब जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष रवि  मेहर जी सकरी कॉलेज में पहुंचे तब वहां नई प्राचार्य डॉ श्री मती रूबी मिल्होत्रा   अभी अभी कार्यभार ग्रहण कर चुकी हैं,यहां से पांडेय ,पूर्व प्राचार्य का अन्यत्र स्थानांतरण हो चुका है,वित्तीय प्रभार विधिवत  नए प्राचार्य को पांडेय जी द्वारा सौंपा नहीं गया है, जैसा कि जनभागीदारी अध्यक्ष  मेहर जी को कार्यालय से और प्राचार्य  जी से ज्ञात हुआ।
    इस दौरान जब जनभागीदारी मद  में लगभग 500विद्यार्थियों से ली गई जनभागीदारी  मद की राशि की जानकारी ली गई तब तो एक अविश्वस्नीय,अकल्पनीय, बातें सामने आई वह यह कि इस कॉलेज के सहायक ग्रेड 2के लिपिक  श्री प्रदीप साहू  जी ने अपने  नोट शीट में लिखा है कि उनकी बातें उच्च शिक्षा विभाग के एक बड़े अधिकारी आयुक्त  छत्तीसगढ़ शासन से बात हुई  जिसमें आयुक्त  ने उन्हें फोन से निर्देश दिया है कि  न्यायालयीन प्रकरण के लिए   जनभागीदारी मद से 50000 रु(पचास हजार रूपये की राशि) प्राचार्य  से ली जाय  जिन्हें  01अगस्त 2024को जारी हो चुके   आयुक्त कार्यालय से प्राप्त राशि जो अपर संचालक उच्च शिक्षा बिलासपुर को जारी हुई है ,से समायोजित कराई जाय ऐसा     स्वीकृति   50हजार की राशि की चेक काट कर  जनभागीदारी मद से छात्र/छात्राओं  वह जमा की गई राशि निकाल ली गई है।
         नवीन शासकीय महाविद्यालय सकरी के जन भागीदारी अध्यक्ष रवि मेहर के मुताबिक बहुत आश्चर्य और विस्मय में डाल देने वाली बात यह है कि सकरी कॉलेज के संबंधित लिपिक श्री प्रदीप साहू ने और तत्कालीन प्राचार्य/अपर संचालक श्री प्रवीण कुमार पांडेय  ने यह मुनासिब नहीं समझा कि इसकी जानकारी  जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष  रवि मेहर जी के और न ही जनभागीदारी प्रभारी  प्राध्यापक डॉ विद्याचरण शुक्ला   को  दी जाय।

 इस मिली भगत से गरीब छात्रों से ली गई मेहनत की इस राशि  को किस विधि से पूर्व प्राचार्य डॉ प्रवीण कुमार पांडेय   क्या कहकर इसका उत्तर और निराकरण करते हैं।एक  छोटे से नवजात शिशु की तरह इस कॉलेज से इतनी बड़ी राशि को निकाल कर रखे रहना ,वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में तो आ ही गया है।

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रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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