Explore

Search

December 19, 2025 10:30 pm

कानाफूसी

जीरो टालरेंस को दे रहे चुनौती


राज्य सरकार ने जीरो टालरेंस का टारगेट तय किया है। सरकारी दफ्तरों में वर्क कल्चर के साथ ही मितव्ययिता बरतने की हिदायत भी दी गई है। जीरो टालरेंस पर सरकार का पूरा फोकस है। कोशिश हो रही है कि आम लोगों का काम तय समय सीमा में हो जाए और सराकरी मुलाजिमों की तरफ से किसी भी तरह का डिमांड भी ना आए। सीधी बात करें तो घुसखोरी और बात-बात पर फाइल सरकाने के एवज में रिश्वतखोरी पर लगाम लगाना सरकार की प्राथमिकता में है। पर यह क्या, सप्ताह में दो से तीन दिन यह खबर आ ही जाती है कि फलां विभाग के अफसर को एसीबी ने घुसखोरी के आरोप में अरेस्ट कर लिया है। सरकार के जीरो टालरेंस की पॉलिसी पर घुसखोर अफसर और सरकारी मुलाजिम अब भी चुनौती बने हुए हैं। देखने वाली बात ये है कि महकमा और अपने मुलाजिमों पर सरकार कैसे पार पाती है।

एसएसपी की सख्ती और ज़ीरो टॉलरेंस

 ऐसा कौन सा जिला है जहां पर एसएसपी ने अपराध पर ज़ीरो टॉलरेंस में अपराध नियंत्रण को लेकर एसएसपी  सख़्त रुख अपनाए हुए हैं। उनकी ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराधियों के विरुद्ध त्वरित और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।यही नहीं पुलिस गश्त बढ़ाई गई है, संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है और शिकायतों पर तुरंत संज्ञान लिया जा रहा है। महिलाओं से जुड़े अपराध नशा तस्करी और संगठित अपराध पर विशेष फोकस है।

एसएसपी के रूख से थानेदार भी काप रहें है पता है उन्हें कानून व्यवस्था से कोई समझौता हुआ तो सीधे लाइन में आमद देना होगा। कप्तान के इस रूख से जहा आमजन में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है वही अपराधियों में पुलिस का भय साफ़ दिखाई दे रहा है।जी हा आप ठीक समझे है हम न्यायधानी की ही बात कर रहे है अब वो कौन सी है आप समझे 

इस विभाग के अफसरों के क्या कहने


शिक्षा विभाग के अफसरों की तारीफ करें या फिर और कुछ कहें। यह तो समझ में नहीं आ रहा है। खैर चलिए, वाकया बताते चलते हैं, आखिर में आप ही तय कर बताइए कि इनको क्या कहें और इनके बारे में क्या लिखें। बात शुरू करते हैं, सहायक शिक्षक की भर्ती होनी थी। विभाग के अफसरों ने जमकर फर्जीवाड़ा किया, साइंस की जगह कॉमर्स और ऑर्टस के टीचरों की भर्ती कर ली। मामला जब उठा तो भ्रष्टाचार की जांच कराई गई। जांच कमेटी ने शिकायत को सही पाया और भ्रष्टाचार की पुष्टि भी कर दी है। जांच कमेटी की रिपोर्ट अब धूल खा रही है। मलाई खाने वालों ने खा भी लिया। बात यहीं खत्म हो रही है। एक विधायक ने विधानसभा में सवाल दागा। विभाग ने मंत्री के हवाले जवाब दिया और पूरा मामले को लिपिकीय त्रुटि करार दे दिया। अफसरों ने मंत्री को भी नहीं छोड़ा। सदन में मंत्री से झूठी जानकारी दिलवा दी। देखते हैं अब मंत्री क्या एक्शन लेते हैं।

मेडिकल बिल और फर्जीवाड़ा, मस्तूरी के बाद बिल्हा से वायरल हुआ आडियो


मेडिकल बिल जारी करने के एवज में रिश्वतखोरी शिक्षा विभाग में नई बात नहीं है। परंपरा बरसों बरस से चली आ रही है। मस्तूरी में शिक्षक और रिश्वतखोर बाबू का आडियो वायरल हुआ था, जिसमें रिश्वत के आदी बाबू ने शिक्षक से सीधेतौर पर डिमांड किया था। हिस्सा ऊपर तक भेजने की बात भी कही थी। एक वीडियो दो दिन पहले बिल्हा के दो कर्मचारियों के बीच बातचीत का वायरल हुआ है। मजमून भी मेडिकल बिल ही है। आडियो वायरल हुआ तो फिर कुछ तो होना ही था, लिहाजा बाबू को निपटा दिया गया है। बाबू को सस्पेंड कर दिया गया है। एक और मामला इसी ब्लाक से संबंधित है। शिक्षक नेता पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। अफसर मेहरबान हैं या फिर लेनदेन का मामला है। ये तो वे ही जाने।

यूथ का शुरू हुआ दौर, सीनियर क्या करें


भाजपा में युवा चेहरे पर दांव लगते ही जा रहा है। कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद भाजपा और संघ ने संकेत और संदेश दे दिया है कि आने वाले समय में इसी तर्ज पर नियुक्ति हाेनी है। संगठन से हुई शुरुआत सत्ता के करीब तक जा पहुंचेगा। यूथ के आगे आने के बाद अब सीनियर नेता सोचने को मजबूर हो गए हैं कि अब पॉलिटिक्स में उनके लिए जगह नहीं बची है। अनुभव एक किनारे पर जा दुबकने लगा है। चर्चा तो सत्ता से लेकर संगठन के गलियारे में भी होने लगी है। चर्चा का दौर चल ही रहा है। चर्चा के बाद बदलाव के बयार भी बहने लगे हैं। भाजपा से लेकर युवा मोर्चा में यह सब दिखाई देने लगा है। अब तो यही बात हो रही है, आगे-आगे देखते जाइए जनाब होता है क्या। चलिए हम और आप दोनों देखते हैं क्या-क्या रिप्लेसमेंट होने वाला है या फिर होने जा रहा है।

अटकलबाजी


शिक्षा विभाग के अफसरों ने मंत्री से सदन में सफेद झूठ बोलवा दिया। अब मंत्री की तरफ से क्या रिएक्शन आता है देखने वाली बात रहेगी। रिएक्शन में कौन निपटेगा और कौन अपनी कुर्सी सुरक्षित रख पाएगा।

सरकारी मशक्कत के बाद भी जीरो टालरेंस पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है। रिश्वतखोरी और घुसखोरी की आदत कैसे लग गई। जिले के और कौन-कौन अफसर और सरकारी मुलाजिम एसीबी के टारगेट पर हैं।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

Advertisement Carousel
CRIME NEWS

BILASPUR NEWS