बिलासपुर। सेंदरी मेंटल हॉस्पिटल में स्टाफ की कमी पर जनहित याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने शासन को नियमों और प्रावधानों के तहत स्टाफ की भर्ती, उपकरण की व्यवस्था करने कहा। शासन की ओर से कहा गया कि सभी प्रक्रियाएं जारी हैं। इससे पहले हाईकोर्ट के निर्देश पर सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया और कमियों को दूर करने एवं सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने मामले को मानिटरिंग के लिए रखा है।
गौरतलब है कि राज्य में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए सेंदरी में एकमात्र मानसिक अस्पताल है। यहां अधिनियम के अनुसार प्रावधान और सुविधा नहीं होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान भी लिया है। दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई चल रही है। याचिका में बताया गया कि, डब्ल्यूएचओ के नियम अनुसार 10 हजार लोगों पर 1 मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि राज्य में 8 लाख लोगों पर एक है। प्रावधान के अनुसार हर जिले में एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र और मनोचिकित्सक होने चाहिए। पिछली सुनवाईयों में मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में यह बात लिखी थी कि उनके निर्देश पर आयुक्त सह निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य नोडल अधिकारी (एनएमएचपी) के साथ मानसिक अस्पताल सेंदरी का दौरा कर निरीक्षण किया और रिपोर्ट पेश किया। इसके अलावा सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने स्वयं मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया और कमियों को दूर करने एवं सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए।
नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए
शासन द्वारा पेश जवाब में कहा गया है कि कुछ कमियां जरूर हैं लेकिन स्टाफ ड्यूटी रोस्टर एवं निर्धारित ड्यूटी के अनुसार कार्य कर रहा है। मरीजों को सुरक्षा स्टाफ द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है। अस्पताल में फार्मासिस्ट की कोई कमी नहीं है। हालांकि कोर्ट कमिश्नर की ओर से बताया गया कि अस्पताल की स्थिति उतनी ठीक नहीं है, अस्पताल में फिलहाल ही डॉक्टर उपलब्ध कराए गए हैं। हालांकि वह शासकीय सेटअप के हिसाब से कम हैं। हालांकि महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इसको लेकर शासन गंभीर है और नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं।
प्रधान संपादक





