बिलासपुर। जिला कलेक्टोरेट परिसर बिलासपुर में कंपोजिट बिल्डिंग की लिफ्ट 6 महीने से खराब होने के मामले में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की। इसके साथ ही सचिव लोक निर्माण से शपथपत्र पर जवाब मांगते हुए अगली सुनवाई 13 नवंबर गुरुवार को निर्धारित की है। एक समाचार माध्यम में कंपोजिट बिल्डिंग की लिफ्ट 6 महीने से खराब और दिव्यांगों के मुश्किल से है। इसके अनुसार इस इमारत में चार दिव्यांग कर्मचारी तैनात हैं, इनमें श्रम निरीक्षक संतोषी ध्रुव, योजना एवं सांख्यिकी विभाग के दीपक तिवारी और नगर और ग्राम नियोजन विभाग के केएस पैकरा और एस. यादव शामिल हैं। लिफ्ट खराब होने के कारण, ये दिव्यांग कर्मचारी रोजाना सीढ़ियां चढ़ने को मजबूर हैं। रिपोर्ट में श्रम निरीक्षक संतोषी ध्रुव की पीड़ा का विस्तार से वर्णन किया गया है, जो बैसाखी के सहारे पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए 24 सीढ़ियाँ चढ़ती हैं, एक-एक पैर रखकर और सहारे के लिए रेलिंग और बैसाखी का सहारा लेती हैं। यह दिनचर्या, जो हर दिन दोहराई जाती है, दिव्यांग कर्मचारियों द्वारा झेले जाने वाले गंभीर शारीरिक तनाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
इस मामले को संज्ञान में लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया कि संयुक्त सरकारी भवन में लिफ्टों के लंबे समय तक बंद रहने के संबंध में उपरोक्त समाचार रिपोर्ट में उजागर किए गए गंभीर मुद्दों को देखते हुए, उन्हें संबंधित अधिकारियों से विस्तृत निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला विकलांग सरकारी कर्मचारियों, गर्भवती कर्मचारियों और आम जनता के सामने आने वाली पहुंच संबंधी चुनौतियों के साथ-साथ भवन के भीतर पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से संबंधित आरोपों से जुड़ा है। कोर्ट ने शासन को समय देते हुए लोक निर्माण विभाग के सचिव को अगली सुनवाई तक इस बारे में अपना व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है।
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