Explore

Search

December 10, 2025 4:51 pm

हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव से दोबारा मांगी जानकारी

बिलासपुर। हाई कोर्ट में प्री-प्राइमरी और नर्सरी स्कूलों की मान्यता से जुड़ी जनहित याचिका व अन्य याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर उसने जनवरी 2013 के उस सर्कुलर को क्यों वापस ले लिया, जो बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर कार्रवाई का आधार था। शिक्षा सचिव के शपथ पत्र में ठोस कारण नहीं होने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई और नया शपथ पत्र देने के निर्देश दिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
हाई कोर्ट के पिछले आदेश के परिपालन में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र दिया था, इसमें बताया गया कि सरकार ने 23 सितंबर 2025 को वर्ष 2013 वाला सर्कुलर रद्द कर दिया है क्योंकि यह बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 यानी आरटीई एक्ट के अनुरूप नहीं था। अधिनियम केवल कक्षा 1 से 8 और 6 से 14 वर्ष के बच्चों पर लागू होता है, जबकि सर्कुलर प्री-नर्सरी बच्चों से संबंधित था।
शपथ पत्र में कहा गया कि पुराने सर्कुलर में बिना पंजीकरण या मान्यता के चल रहे स्कूलों पर कोई स्पष्ट दंडात्मक प्रावधान नहीं था। इसलिए विभाग ने इसे वापस लेकर नई नीति के तहत कार्य करने का निर्णय लिया है।
हाई कोर्ट ने जवाब को असंतोषजनक बताते हुए कहा कि अगर सर्कुलर वापस लेने से छात्रों की पढ़ाई या भविष्य पर कोई विपरीत असर पड़ता है, तो राज्य सरकार जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे, जिन्होंने नियमों के विपरीत स्कूल चलाए हैं। साथ ही कहा कि राज्य सरकार जल्द से जल्द नए नियम बनाकर हाई कोर्ट को सूचना दे।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

Advertisement Carousel
CRIME NEWS

BILASPUR NEWS