बिलासपुर ।शहर में यातायात व्यवस्था सुधारने को लेकर एएसपी स्तर से चलाया जा रहा अभियान अब सवालों के घेरे में है। यह अभियान सोशल मीडिया पर तो सक्रिय नजर आता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है।
शहर की प्रमुख सड़कों पर जाम की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। लेफ्ट छोड़ने जैसी मूलभूत नियमों का पालन दूर की बात है, लोग बेलगाम तरीके से ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। वहीं ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी कई क्षेत्रों में न के बराबर है।एक बात जरूर है पिछले दिनों एसएसपी रजनेश सिंह शहर की ट्रैफ़िक व्यवस्था को लेकर फेस बुक में लाइव आने के बाद कुछ स्थानों की ट्रैफ़िक व्यवस्था में बदलाव जरूर दिखाई दे रहा है लेकिन इसके उलट जितना सोसल मीडिया में ट्रैफ़िक को लेकर प्रचार प्रसार देखने को मिल रहा है वो महज एक दिखावा साबित हो रहा है ,

इस संबंध में जब स्थानीय नागरिकों से यातायात व्यवस्था को लेकर बात की है तो उनका कहना है कि केवल चालानी कार्रवाई या औपचारिक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से व्यवस्था में सुधार नहीं होगा। इसके लिए ट्रैफिक विभाग को फील्ड में उतरकर गंभीरता से काम करना होगा।बिलासपुर का नाम स्मार्ट सिटी में शामिल तो हो गया लेकिन आज भी लोगो में वो स्मार्टनेस नहीं दिखती आज भी वाहन चालको की जो कमी दिखती है वो किसी से छिपी हुई नहीं है,लेफ्ट से उन्हें कोई मतलब नहीं है हॉर्न बज़ा कर जब उन्हें ए बताने का प्रयास करते है तो वो लड़ने झगड़ने पर उतर जाते है ,इसका हल क्या है सोसल मीडिया से बाहर निकल कर इनको जागरूक करने यातायात पुलिस की तरफ़ से जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ।

इस दौरान ऐसे भी लोग मिले जिन्होंने तंज कसते हुए कहा जनाब एसी गाड़ियों से बाहर निकलकर फील्ड में उतरिए तभी जनता को आपके अभियान पर विश्वास होगा।
सही मायनो में जानकारों की मानें तो शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए रूट डायवर्जन ट्रैफिक सेंस जागरूकता संकेतक व्यवस्था और ऑन-ग्राउंड पेट्रोलिंग को मज़बूत करने की ज़रूरत है।
अब देखना यह होगा कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात इन सवालों का जवाब सोशल मीडिया से देगें या फील्ड में उतरकर असल में व्यवस्था सुधारने की पहल करेगे ।

प्रधान संपादक