राज्यभर की जेलों में आत्मशुद्धि और नैतिक उत्थान के लिए विशेष आयोजन
प्रदेश में सुधार और पुनर्वास की दिशा में एक नई पहल के तहत, उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की पहल पर राज्य की विभिन्न जेलों में कैदियों का गंगा जल से स्नान कराया गया। यह आयोजन महाकुंभ के ऐतिहासिक अवसर पर आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने और कैदियों के नैतिक उत्थान के उद्देश्य से किया गया।

राज्य की 5 सेंट्रल जेल, 20 जिला जेल और 8 सब-जेल में यह विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कैदियों ने गंगा जल से स्नान कर आत्मशुद्धि की अनुभूति की। जेल प्रशासन ने इस आयोजन के लिए विशेष व्यवस्थाएं कीं, जिससे कैदियों में उत्साह देखने को मिला।

इस मौके पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “सरकार कैदियों के सुधार और पुनर्वास के लिए संकल्पित है। महाकुंभ जैसे आध्यात्मिक अवसरों पर ऐसे कार्यक्रम उन्हें नैतिक रूप से सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।”
इसी कड़ी में बिलासपुर केन्द्रिय जेल में बंद करीब दो हजार कैदियों ने हर-हर गंगे की जप के साथ डुबकी लगाई।
केन्द्रीय जेल में दो दिन पहले प्रयागराज से पहुंचे गंगा जल को पूजा- अर्चना कर विधि-विधान से जेल की चहार दीवारियों के भीतर लाया गया। कैदियों की भजन मण्डली ने जेल के मुख्य द्वार से गंगा जल को सुन्दरता से सजायी गई मटकियों में रख कर टंकियों और अन्य कैदियों तक पहुंचाया। महाकुंभ स्नान को लेकर जेल प्रशासन ने पहले से तैयारियां कर रखी थीं।

जेल अधीक्षक खोमेश मण्डावी ने बताया
कैदियों के नहाने वाली टंकी को भी चारों तरफ से सजा लिया गया था। राज्य सरकार के साथ ही जेल प्रशासन ने अपनी ओर से 40 लीटर गंगा जल की व्यवस्था कर रखी थी, जिससे कैदियों ने स्नान किया। किसी ने लोटे से स्नान किया तो कईयों ने टंकी में डुबकी लगाई। कैदियों ने राज्य शासन के जेल में गंगा स्नान कराने की पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इससे कैदियों को मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होगी।

जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इस पहल से कैदियों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस तरह के आध्यात्मिक और सुधारात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे कैदी समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।
प्रदेश सरकार की इस पहल को समाज के विभिन्न वर्गों से सराहना मिल रही है। लोगों का मानना है कि यह कदम कैदियों को सुधारने और उनमें नैतिकता का विकास करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief