बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी के लिए भी प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का पालन करना अनिवार्य है। सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई बर्खास्तगी आदेश की कार्रवाई को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
रोजगार सहायक याद दास साहू ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 2016 में संविदा के आधार पर ग्राम रोजगार सहायक, मनरेगा के पद पर डोंगरगांव क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत में उसकी नियुक्ति हुई थी। काम अच्छा होने के कारण उसे एक्सटेंशन मिलता रहा। दिसंबर 2022 में स्थानीय विधायक की शिकायत पर उसे नोटिस जारी किया गया। जवाब संतोषजनक पाते हुए उसकी सेवाएं यथावत रखी गई। इसी बीच खराब प्रदर्शन और लक्ष्य पूरा ना करने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा। जवाब पेश करने के बाद भी उसे दूसरी पंचायत में स्थानांतरित कर दिया।

याचिका के अनुसार 23 जून, 2023 को, बिना किसी नोटिस या औपचारिक जांच किए उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। याचिका की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया है। सिंगल बेंच ने अधिकारियों को नए सिरे से जांच करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिकाकर्ता को सभी परिणामी लाभों के साथ बहाल करने का निर्देश दिया।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief