बिलासपुर ।न्यू राजेन्द्र नगर, रायपुर निवासी कृष्णा प्रसाद ठाकुर पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) रायपुर में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। सेवानिवृत्ति के पश्चात् पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक, सीआईडी द्वारा उन्हें सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर उनके विरूद्ध 3,28,657/- रूपये का वसूली आदेश जारी करते हुए उनके समस्त सेवानिवृत्ति देयक रोक लिये गये। उच्च न्यायालय, बिलासपुर में सुनवाई के पश्चात् उच्च न्यायालय द्वारा यह आदेशित किया गया कि याचिकाकर्ता की वसूली राशि को रोककर अन्य समस्त सेवानिवृत्ति देयक का भुगतान 60 (साठ) दिवस के भीतर किया जाए। हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति देयक का भुगतान ना किये जाने से क्षुब्ध होकर कृष्णाप्रसाद ठाकुर द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों द्वारा उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा पारित आदेशों की प्रत्येक याचिकाओं में लगातार अवमानना की जा रही है। उच्च न्यायालय का (एक-एक) मिनट का समय अत्यन्त कीमती होता है जो कि ज्यादातर अवमानना याचिकाओं की सुनवाई में व्यर्थ हो जाता है। चूंकि न्यायालय अवमाननना अधिनियम 1971 के उपनियम 12 में न्यायालय के आदेश की अवमानना पर 06 (छः) माह का कारावास एवं 2000/- रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। उच्च न्यायालय के आदेशों का समयसीमा में पालन कराए जाने एवं उच्च न्यायालय का कीमती समय बचाये जाने हेतु अवमानना याचिकाओं में अधिकारियों को दण्डित किया जाना आवश्यक है। उक्त अवमानना याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान पुलिस महानिरीक्षक एवं एसपी (सीआईडी), रायपुर द्वारा भविष्य में इस प्रकार की गलती का दोहराव ना किये जाने एवं क्षमायाचना -पैरा नंबर-2 के पश्चात् उक्त अवमानना याचिका को निराकृत कर दिया गया।