वैदिक ज्योतिष में सूर्य और मंगल की युति को अत्यंत महत्वपूर्ण योग माना गया है। इस विषय पर सुभाष शर्मा का कहना है कि जब ये दोनों तेजस्वी ग्रह एक ही राशि या लग्न में आते हैं तो जातक के व्यक्तित्व करियर वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिष्ठा पर गहरे प्रभाव देखे जाते हैं। सूर्य जहां आत्मा नेतृत्व प्रतिष्ठा और पिता का प्रतीक है, वहीं मंगल ऊर्जा साहस क्रोध और सक्रियता का कारक माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य शर्मा के अनुसार सूर्य–मंगल की युति से व्यक्ति के भीतर अद्भुत आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता विकसित होती है। ऐसे लोग निर्णय लेने में तेज होते हैं और संघर्षों का सामना करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। हालांकि, यही ऊर्जा कभी-कभी गुस्से और आक्रामकता में बदल जाती है, जिससे पारिवारिक या सामाजिक रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
सूर्य- मंगल युति का सामान्य प्रभाव
ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा बताते हैं कि इस युति के जातक अत्यंत महत्वाकांक्षी, कर्मठ और लक्ष्य-उन्मुख होते हैं। उनके कार्यक्षेत्र में उन्नति, पदोन्नति और सम्मान मिलने के योग मजबूत होते हैं।हालांकि प्रेम संबंधों और दांपत्य जीवन में कभी-कभी चुनौतीपूर्ण स्थितियां पैदा हो सकती हैं।
राशि के आधार पर प्रभाव
ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा के अनुसार, विभिन्न राशियों में इस युति के निम्न प्रभाव देखे जाते हैं ।
मेष: अत्यंत शक्तिशाली युति, नेतृत्व और साहस में वृद्धि।
वृषभ व मिथुन: आर्थिक लाभ, सामाजिक सम्मान; किंतु गुस्से पर नियंत्रण आवश्यक।
कर्क व सिंह: प्रभावशाली व्यक्तित्व, परंतु पारिवारिक तनाव संभव।
तुला: आर्थिक सुधार, दांपत्य सहयोग; स्वास्थ्य पर ध्यान की आवश्यकता।
वृश्चिक: स्थान परिवर्तन, नए संबंध और योजनाओं में सफलता।
धनु: सामाजिक मान–प्रतिष्ठा और करियर में उन्नति, कला व शिक्षा क्षेत्र में लाभ।
मकर: आत्मविश्वास और व्यवसाय में वृद्धि, विवाह के योग प्रबल।
लग्न के आधार पर सूर्य–मंगल युति के प्रभाव को समझे तो लग्न में युति सबसे शक्तिशाली स्थिति।जातक साहसी, ऊर्जावान और प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी।नेतृत्व क्षमता और निर्णय शक्ति प्रबल।दूसरे भाव में युतिपारिवारिक उतार-चढ़ाव, विवाद की संभावना।धन लाभ भी संभव।चौथे भाव में युति मानसिक तनाव, दांपत्य में चुनौतियाँ राजनीति व सामाजिक क्षेत्र में सफलता के योग।सातवें भाव में युति दांपत्य जीवन में संघर्ष।कड़ी मेहनत से कार्यक्षेत्र में सफलता।आठवें भाव में युती स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।जीवन में अचानक चुनौतियाँ और संबंधों में उलझनें।बारहवें भाव में युति व्यावसायिक हानि अचानक दुर्घटना का योग।विदेश संबंधी लाभ व दांपत्य सुख भी संभव।
ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा का मानना है कि सूर्य और मंगल की युति जीवन में उच्च ऊर्जा, साहस और सफलता प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण योग है। हालांकि, इसकी शुभ–अशुभ दिशा कुंडली में राशि, लग्न, भाव और दशाओं के अनुसार तय होती है। यदि अन्य ग्रहों की स्थितियां अनुकूल हों, तो यह युति जातक के जीवन को ऊंचाई और प्रतिष्ठा की ओर ले जाती है।
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