बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में बीते सात साल से 17 करोड़ की मशीन धूल खाते बंद पड़ी है। इसका खामियाजा मरीजों व परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। मशीन बंद होने के कारण प्राइवेट अस्पताल में जांच कराने की मजबूरी है। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट को स्वत: संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस ने इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। मामल की प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अंबेडकर अस्पताल में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके बाद भी 17 करोड़ रुपए की मशीन सात साल से बंद पड़ी है। अधिकारियों की लापरवाही और विभागीय जटिलताओं की वजह से यह मशीन आज तक चालू नहीं हो पाई। हाई कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए शासन से जवाब मांगा है। कोर्ट का कहना है कि, अंबेडकर अस्पताल से
रोजाना औसतन 30 से 40 मरीज पेट स्कैन जांच कराने निजी अस्पताल जाते हैं, वहां एक बार की जांच का खर्च 25 से 30 हजार रुपए तक होता है।
इस तरह सिर्फ अंबेडकर अस्पताल के मरीजों पर हर दिन लगभग 8-9 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब अस्पताल में वही जांच सरकारी स्तर पर मुफ्त में हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि, यह जानकारी भी मिली है कि टेक्नीशियन की भर्ती प्रक्रिया केवल प्रस्तावों में ही अटकी है। मेडिकल कॉलेज और अंबेडकर अस्पताल के अधिकारियों ने दो-तीन बार प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजा, लेकिन हर बार फाइल वित्त विभाग में जाकर ठंडे बस्ते में चली गई। नाराज डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
प्रधान संपादक





