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November 16, 2025 2:13 am

मेकाहारा के गायनी वार्ड में एक बेड पर दो प्रसूता, हाईकोर्ट ने लिया स्वत संज्ञान, राज्य शासन से मांगा जवाब

बिलासपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा के गायनी वार्ड में एक ही बेड पर दो प्रसूताओं को रखे जाने के मामले में हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा है कि स्थिति बेहद खराब है और सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए 6 नवंबर तक एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को शपथ पत्र पेश करने कहा है। ध्यान रहे कि अंबेडकर अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर हाई कोर्ट ने कुछ मामलों में स्वत: संज्ञान लेकर अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग से पहले भी जवाब-तलब किया है। मई में 2 मामलों में स्वत: संज्ञान लेकर स्वास्थ्य सचिव को हाई कोर्ट ने तलब किया था।
मीडिया में इस तरह की खबरें आईं थीं कि 150 बिस्तर वाले इस वार्ड में बेड फुल हो गया। इसके चलते वार्ड नंबर 5 और 6 में एक-एक बेड पर दो-दो प्रसूताओं को रखा गया है। बच्चों को साथ लिए प्रसूताओं ने बेड के एक-एक हिस्से को सिरहाना बनाया है। इसे लेकर मरीजों के परिजनों ने खासी नाराजगी जताई, लेकिन बेड नहीं होने के कारण उन्हें आखिरकार शांत होना पड़ा। दरअसल, अस्पताल में औसतन हर घंटे एक डिलिवरी होती है। यानी एक दिन में सीजेरियन-नॉर्मल मिलाकर करीब 24 डिलिवरी होती है। अस्पताल के गायनी वार्ड में कुल 150 बेड हैं। किसी प्रसूता को एक दिन तो किसी को एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रखना पड़ता है। अब हालत यहां तक पहुंच गई है कि करीब 10 बेड पर दो-दो प्रसूताओं को शिशुओं के साथ सुलाया गया है। प्रसूता वार्ड में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते ही अलग से 700 बिस्तर का मातृ-शिशु अस्पताल का निर्माण किया जाना है। इसके लेकर सारी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं।
इससे पहले भी स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। इसमें पहला मामला अस्पताल परिसर और पार्किंग में मरीज के परिजनों के दिन-रात बिताने का था। दूसरे मामले में अस्पताल में सर्जरी में हो रही देरी को लेकर था। इसमें हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से शपथ-पत्र के साथ जवाब मांगा था। इसके बाद 28 मई को स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया अंबेडकर अस्पताल पहुंचे थे। इसके साथ ही अंबेडकर अस्पताल में एचआईवी पॉजिटिव मां के नाम का पोस्टर शिशु के पास चिपकाने को लेकर भी हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने अंबेडकर अस्पताल को मरीज को मुआवजा देने का आदेश दिया था। अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को 2 लाख रुपए मुआवजा दिया था। मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल मेंं फ्रीजर खराब, शव को दफनाने 2 गज जमीन नहीं, इस खबर पर स्वत: संज्ञान लेकर सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जवाब मांगा था।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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