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October 17, 2025 12:09 pm

पुलिस हिरासत में मौत, हाई कोर्ट ने मृतक के परिजनों को 5 लाख मुआवजा देने शासन को दिया आदेश

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हुई मौत के एक मामले में सख्त टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने मृतक की पत्नी को 3 लाख और माता-पिता को 1-1 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।
दुर्गेद्र कठोलिया को 29 मार्च 2025 को अर्जुनी थाना पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था। 31 मार्च को शाम 5 बजे उसे धमतरी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। इस दौरान वह पूरी तरह स्वस्थ था। लेकिन सिर्फ तीन घंटे बाद रात 8 बजे वह पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम में शरीर पर 24 चोटें मिलीं। उसके हाथ, छाती, जांघ, घुटनों, चेहरे और नाक पर चोट के निशान थे। मेडिकल बोर्ड ने बताया कि उसकी मौत दम घुटने से हुई, जिससे कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट हुआ। दोषियों पर उचित कार्रवाई समेत अन्य मांगें करते हुए पत्नी दुर्गा देवी कठोलिया और मां सुशीला और पिता लक्ष्मण सोनकर ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और चोटें साधारण व पुरानी थीं। चीफ जस्टिस की बेंच ने यह दलील खारिज करते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में महज तीन घंटे के भीतर मौत होना असाधारण है। चोटें साधारण हों या गंभीर, पुरानी हों या नई राज्य अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मौत के हालात यह दिखाते हैं कि मृतक को अमानवीय यातना दी गई थी और यह मामला कस्टोडियल बर्बरता का उदाहरण है। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि हिरासत में मौत के मामलों में मुआवजा देना सार्वजनिक कानून के तहत जरूरी उपाय है। याचिका मंजूर करते हुए हाई कोर्ट ने गृह विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि परिजनों को 8 हफ्तों के भीतर मुआवजा राशि दी जा

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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