Explore

Search

September 1, 2025 5:27 pm

Advertisement Carousel

हाई कोर्ट ने कहा- किस पद पर किस श्रेणी के दिव्यांगों को देनी है नियुक्ति, राज्य सरकार का है अधिकार

बिलासपुर। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार या नियुक्ति प्राधिकारी को यह तय करने का अधिकार कि किस पद पर किस श्रेणी के दिव्यांग अभ्यर्थी को अवसर दिया जा सकता चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सहायक प्राध्यापक भर्ती में दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर लगाई गई खारिज कर दी है। बेंच ने कहा कि नियोक्ता ही बेहतर तय कर सकता है कि किसी पद के लिए कौन सा दिव्यांग श्रेणी उपयुक्त है। इसी तरह चयन प्रक्रिया पूरी होने और असफल होने के बाद कोई अभ्यर्थी रोस्टर या आरक्षण को चुनौती नहीं दे सकता।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2019 में सहायक प्राध्यापक के कुल 1384 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था, इसमें वाणिज्य विषय के 184 पद शामिल थे। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 5 मार्च 2019 तय की गई थी। इसी बीच, 23 फरवरी 2019 को आयोग ने एक शुद्धिपत्र जारी कर शारीरिक रूप से दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए पदों की संख्या में संशोधन किया। रायगढ़ निवासी सरोज क्षेमनिधि ने 14 मार्च 2019 को आवेदन प्रस्तुत किया और नवंबर 2020 में आयोजित लिखित परीक्षा पास की। इसके बाद उसे साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, लेकिन अंतिम चयन सूची में स्थान नहीं मिला। उसने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, आरोप लगाया कि पीएससी ने वाणिज्य विषय में दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को दो प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध नहीं कराया। याचिका में मांग की कि वाणिज्य में सहायक प्राध्यापक के बैकलॉग पदों पर भी दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू कर शुद्धिपत्र जारी किया जाए। साथ ही, इस श्रेणी में पदों को भरने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
याचिका के अनुसार वाणिज्य विषय के 1384 पदों में से 2% आरक्षण दृष्टिहीन व अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को दिया जाना चाहिए था, लेकिन पीएससी ने ऐसा नहीं किया। कहा कि यह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 का उल्लंघन है।
राज्य सरकार और सीजी पीएससी की ओर से तर्क दिया गया कि कला संकाय में ही दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए पद आरक्षित हैं, जबकि वाणिज्य व विज्ञान संकाय में कार्य की प्रकृति को देखते हुए ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार पहले ही एक हाथ और एक पैर श्रेणी के दिव्यांगों के लिए वाणिज्य विषय में आरक्षण उपलब्ध करा चुकी है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

CRIME NEWS

BILASPUR NEWS