बिलासपुर। हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आपसी सहमति के आधार पर तलाक के लिए पति पत्नी दोनों की अदालत में उपस्थिति अनिवार्य है। इसके अलावा सहमति भी जरुरी है। दोनों में से किसी एक की गैरमौजूदगी के चलते यह मंजूरी नहीं मिलेगी। कोर्ट ने यह व्यवस्था देते हुए परिवार न्यायालय के आदेश को सही ठहराया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया है।
दुर्ग निवासी दंपती की वर्ष 2000 में शादी हुई थी। शादी के कुछ समय बाद विवाद होने पर
दोनों अलग रहने लगे। इसके बाद उन्होंने दुर्ग के फैमिली कोर्ट में आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। शर्त थी कि पत्नी को पति 20 लाख रुपए देगा। पति का दावा है कि उसने पूरी रकम पत्नी को दी, लेकिन वह बयान देने के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई। फैमिली कोर्ट ने पत्नी के अनुपस्थित रहने पर आवेदन खारिज कर दिया। पति ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। हालांकि हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को भविष्य में फिर से आवेदन करने की छूट दी है।
हाई कोर्ट ने कहा कि धारा 13 (बी) के तहत लगाई गई याचिका में कुलिंग पीरियड के बाद दोनों पक्षों की
उपस्थिति और सहमति जरूरी है। यदि एक पक्ष अनुपस्थित रहता है या सहमति वापस ले लेता है, तो आपसी तलाक का आदेश नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट पत्नी की लगातार अनुपस्थिति और अंतिम सुनवाई में सहमति की पुष्टि न करने के कारण फैमिली कोर्ट के आदेश को सही मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

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