Explore

Search

October 24, 2025 10:59 am

मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें तेज, 20 को मंत्रियों के शपथ लेने की चर्चा

बिलासपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर छत्तीसगढ़ में एक बार फिर चर्चा होने लगी है। चर्चा का दौर तब शुरू हुआ जब सीएम साय ने खुद ही मीडिया से चर्चा के दौरान विस्तार को लेकर संकेत दिए। सीएम साय के मंत्रिमंडल में तीन विधायकों को मंत्री के रूप में एडजस्ट किया जाएगा। तीन का नंबर हरियाणा तर्ज पर होगा। यह तो तय हो गया है कि हरियाणा की तरह छत्तीसगढ़ में भी 13 मंत्री होंगे। चर्चा विधायकों के मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण को लेकर हो रही है। पहले 18 अब 19 के बाद 20 अगस्त की बात भी सामने आने लगी है। शपथ ग्रहण तिथि के साथ ही कौन तीन किस्मत वाले विधायक होंगे जो शपथ लेंगे, इस पर लोगों की निगाहें कुछ ज्यादा ही टिक गई है।

सरगुजा से जो खबरें आ रही है उसमें अटकलें नहीं दावे किए जा रहे हैं। दावे भी कुछ कम चौंकाने वाले नहीं। सरगुजा में चर्चा ए आम है कि विधायक राजेश अग्रवाल मंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। करीबी व समर्थक तो फोर्टफोलियो का भी दावा कर रहे हैं। समर्थक व करीबियों के दावे के पीछे की सच्चाई भी कान खड़ा करने वाली है। औद्योगिक घराने की तगड़ी सिफारिश, जिनकी केंद्र की भाजपा सरकार में दखलंदाजी के साथ ही खास मंत्रियों से बेहद करीबी का रिश्ता। केंद्र की सरकारी में दखलंदाजी और खास मंत्रियों से रिश्तों की जब बात हो,राजेश अग्रवाल ही क्यों, जिन पर उंगली रख दें, छत्तीसगढ़ के साय मंत्रिमंडल में नजर आएंगे। बहरहाल राजेश अग्रवाल के समर्थक और करीबियों के दावे के पीछे की सच तो यही है। तब तो यह तय मानकर चलिए कि दुर्ग के विधायक गजेंद्र यादव से पहले राजेश के नाम को साय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले तीन विधायकों में पहले नंबर पर रख सकते हैं और उनकी मंत्रिमंडल की टिकट कंफर्म कह सकते हैं। आपको याद होगा मंत्रिमंडल गठन के दौर में ही गजेंद्र का नाम फाइनल मानकर चल रहे थे। एनवक्त पर नाम फाइनल तो दूर 10 मंत्रियों की सूची में भी शामिल नहीं हो पाया। फाइनल नाम पर अक्सर कुछ ना कुछ सियासत हो ही जाती है। अब भी गजेंद्र के नाम को राजनीतिक के पंडित और सियासत में रूचि रखने वाले पक्का मानकर चल रहे हैं। डेढ़ साल पहले जो कुछ हुआ इस बार भी हो गया तब क्या होगा। जिस बिहार चुनाव को सामने रखकर उनकी दावेदारी की बात की जा रही है,सियासी तौर पर यह तो बेमानी ही होगी। गजेंद्र के चेहरे पर बिहारी यादव मतदाताओं को कैसे और किस अंदाज में लुभाएंगे। यादव वोटों को रिझाने और बिहार चुनाव में राजनीतिक फायदे की जो बातें सियासी प्लेटफार्म पर कही जा रही है, फिलहाल उसमें दम कहीं से भी दिखाई नहीं देता। गजेंद्र की दावेदारी के पीछे आरएसएस परिवार से ताल्लुक रखना और पिता के संघ के बड़े पदाधिकारी के रूप में गिना जाना ही,सबसे प्रमुख माना जा सकता है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी ने आरएसएस की जैसे मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी,गजेंद्र का रास्ता इसी के जरिए क्लियर माना जा रहा है।

अमर के नाम पर डर क्यों

अमर अग्रवाल के बारे सियासत और अफसरशाही में एक बात प्रचारित है, वे काम को पहले तव्वजो देते हैं। पार्टी लाइन और सरकार के लाइन पर बराबर ध्यान देते हैं। राज्यहित को तव्वजो देने वाले अमर के कामकाज को ब्यूरोक्रेट्स में काफी पसंद किया जाता है। यस मैन के बजाय नियम कानून कायदे से समझौता ना करने के कारण अमर के नाम पर सत्ता में बैठे और संगठन चलाने वाले लोगों में अंदरुनी डर का माहौल बना हुआ है। अटकलों और चर्चा के बीच यह भी तय है कि दिल्ली की सहमति और स्वीकृति सबसे अहम है।

कुल मिलाकर अभी तो छत्तीसगढ़ का राजनीतिक माहौल मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं से गर्म है। अब सभी की निगाहें 20 अगस्त पर टिकी हैं, जब यह साफ हो जाएगा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपनी टीम में किन तीन चेहरों को शामिल करते हैं या फिर मंत्रिमंडल का विस्तार आगे टलता है बस इंतज़ार करते रहें।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

Advertisement Carousel
CRIME NEWS

BILASPUR NEWS