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July 30, 2025 1:54 am

पदोन्नत डीएसपी अब तक नक्सल क्षेत्र में डटे, एक माह की तैनाती कब होगी खत्म ? पुलिस हेडक्वार्टर को अपने 21 पुलिस अफसरों की चिंता ही नहीं, एक महीने के लिए किया था पोस्टिंग

रायपुर। डीएसपी के पद पर पदोन्नति पाने वाले 21 पुलिस अफसरों की पीएचक्यू में बैठे आला अफसरों को चिंता ही नहीं है। चिंता नहीं है या फिर पोस्टिंग के बाद इस बात का ख्याल नहीं है कि इनको एक महीने के लिए नक्सल इलाके में भेजा गया था। नियम व कानून के लिए पाबंद माने वाले विभाग में इस तरह की अनदेखी समझ से परे है। जिन 21 डीएसपी को नक्सल इलाके में पोस्टिंग दी गई है उनमें कई उम्रदराज भी हैं। उम्रदराज पुलिस अफसरों को नक्सल इलाके में भेजने को लेकर तब अटकलें भी लगाई गई थी। बहरहाल उम्रदराज डीएसपी नक्सल इलाके में है और युवा मैदानी इलाकों में पुलिसिंग कर रहे हैं।

इधर गृह जिलों में पदस्थापित नई जिम्मेदारियों की प्रतीक्षा कर रहे इन अधिकारियों के सहकर्मी भी असमंजस में हैं। प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि यह तैनाती फील्ड मूल्यांकन का हिस्सा भी हो सकती है जिससे आगे की पदस्थापनाएँ तय होंगी।

11 जून को पीएचक्यू से जारी आदेश पर गौर करते हैं। CBN.36 के पास आदेश की कापी उपलब्ध है। आदेश में जो कुछ लिखा है वह हू-ब-हू हम आपके सामने रख रहे हैं। पढ़िए पुलिस हेडक्वार्टर के आदेश में क्या कुछ लिखा है।
निम्नलिखित पुलिस अधिकारियों को 01 माह के लिए ड्यूटी हेतु निम्न जिलों में तैनात किया जाता है। ये सभी अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज, बस्तर को रिपोर्ट करेंगे एवं दिनांक 13.06.2025 को पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज के समक्ष Induction Briefing Session हेतु आवश्यक रूप से उपस्थित रहेंगे, तत्पश्चात् नाम के सम्मुख दर्शाये गये जिले में रिपोर्ट करेंगे।

पीएचक्यू के आदेश के मद्देनजर अफसरों ने आईजी बस्तर रेंज के समक्ष 13.06.2025 को अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आईजी बस्तर रेंज के आदेश के बाद पीएचक्यू से जारी पदस्थापना आदेश के तहत अलग-अलग जिलों में ज्वाइनिंग दी। आदेश में साफ लिखा है कि इन सभी पुलिस अफसरों को एक महीने के लिए बस्तर में पोस्टेड किया जा रहा है। आदेश के अनुसार एक महीने से ज्यादा का समय हो रहा है। पीएचक्यू में बैठे आला अधिकारी अपने द्वारा जारी आदेश को भूल गए हैं या फिर अपने ही आदेश व नियम कानून की अनदेखी कर रहे हैं। अनदेखी का सबसे ज्यादा परेशानी उम्रदराज अफसरों को हो रही है।

ये हैं डीएसपी जिनको एक महीने के लिए अलग-अलग जिलों में किया गया था पोस्टेड

जिला बीजापुर में पदस्थापना आदेश

नरेश कुमार पटेल, उप पुलिस अधीक्षक
चंन्द्रशेखर ध्रुव, उप पुलिस अधीक्षक
विवेक शर्मा, उप पुलिस अधीक्षक
लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, उप पुलिस अधीक्षक
प्रमोद कुमार किस्पोट्टा, उप पुलिस अधीक्षक
चुन्नू तिग्गा, उप पुलिस अधीक्षक

जिला सुकमा में इनकी पदस्थापना

हरविन्दर सिंह, उप पुलिस अधीक्षक
गोपाल सिंह धुर्वे, उप पुलिस अधीक्षक
यशकरण द्वीप ध्रुव, उप पुलिस अधीक्षक
विपीन रंगारी, उप पुलिस अधीक्षक
इन्द्रभूषण सिंह, उप पुलिस अधीक्षक
रमाकान्त साहू, उप पुलिस अधीक्षक

जिला नारायणपुर में ये हैं पदस्थ

एम्ब्रोस कुजूर, उप पुलिस अधीक्षक
सुशील मलिक, उप पुलिस अधीक्षक
कुंज बिहारी नागे, उप पुलिस अधीक्षक
बृजेश कुमार तिवारी, उप पुलिस अधीक्षक

जिला दंतेवाड़ा में इनकी पदस्थापना

तूल सिंह पट्टावी, उप पुलिस अधीक्षक
कमलेश्वर कुमार भगत, उप पुलिस अधीक्षक
सुरेश कुमार भगत, उप पुलिस अधीक्षक

जिला कांकेर में ये हैं पोस्टेड

ओम प्रकाश कुजुर, उप पुलिस अधीक्षक
नोहर लाल मण्डावी, उप पुलिस अधीक्षक

0 कार्यमुक्त करने इन जिलों के एसपी को जारी किया था आदेश

पुलिस अधीक्षक, रायपुर/सक्ती/बालोद/सूरजपुर/मुंगेली/दुर्ग/बलौदाबाजार-भाटापारा/महासमुंद गरियाबंद/बलरामपुर-रामानुजगंज/पीटीएस मैनपाट/बिलासपुर/सारंगढ़-बिलाईगढ़/बीजापुर/सुकमा/नारायणपुर/दंतेवाड़ा/कांकेर। सभी इकाई प्रमुख उपरोक्त अधिकारियों को तैनात जिले के लिए अविलम्ब कार्यमुक्त करें।

पदोन्नत डीएसपी अब तक नक्सल क्षेत्र में डटे, एक माह की तैनाती कब होगी खत्म ?

हालांकि जुलाई समाप्त होने को है, लेकिन न तो कोई रिलीविंग आदेश जारी हुआ है और न ही पुनः पदस्थापना को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इससे अधिकारियों और उनके गृह जिलों की पुलिस व्यवस्थाओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कई अधिकारी पहले भी नक्सल क्षेत्र में पदस्थ रहे हैं और लंबे समय से प्रशासनिक कार्यों में सक्रिय थे। उसके बावजूद ऐसी स्थिति में एकाएक फील्ड ड्यूटी वह भी संवेदनशील इलाकों में, उनके लिए चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है।

पुलिस विभाग की ओर से इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न ही यह स्पष्ट है कि इन अधिकारियों की तैनाती अवधि को मौखिक रूप से बढ़ाया गया है या भविष्य में कोई नया आदेश आने वाला है।

पूर्व आईपीएस अधिकारी और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की तैनाती यदि पूर्व प्रशिक्षण और रणनीतिक तैयारी के बिना की जाती है तो वह अफसरों के मनोबल और क्षेत्रीय सुरक्षा दोनों को प्रभावित कर सकती है।

फिलहाल सवाल यही है कि इन अधिकारियों की एक माह की तैनाती अब कब समाप्त होगी और क्या राज्य सरकार इसे नियमित पोस्टिंग का आधार बनाने जा रही है ?

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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