छत्तीसगढ़ रायपुर।प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) ने यह स्वीकार किया है कि बीते एक वर्ष में देशभर में सुरक्षा बलों के साथ विभिन्न मुठभेड़ों में 357 नक्सली मारे गए हैं।
मारे गए नक्सलियों में 4 केंद्रीय समिति (सीसी) सदस्य और 15 राज्य समिति स्तर के नेता शामिल हैं, जो संगठन के शीर्ष नेतृत्व को एक गंभीर झटका दर्शाता है।
दंडकारण्य विशेष ज़ोनल कमेटी को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, जहां 2024–2025 के दौरान 281 नक्सली मारे गए। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, जो पिछले कुछ महीनों में हुए निरंतर नुक़सान का परिणाम है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) सुंदरराज पट्टलिंगम ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में तैनात पुलिस और सुरक्षा बल वामपंथी उग्रवादियों की क्रूर और अमानवीय गतिविधियों को समाप्त करने तथा दीर्घकालिक शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता और संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं।
2024–2025 में माओवादी संगठन को भारी क्षति
प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) ने यह स्वीकार किया है कि बीते एक वर्ष में देशभर में हुई विभिन्न मुठभेड़ों में 357 नक्सली मारे गए हैं। यह तथ्य संगठन द्वारा झेले गए गंभीर झटकों और असफलताओं को दर्शाता है ।
मारे गए 357 नक्सलियों में से 136 महिलाएं थीं, जो यह दर्शाता है कि माओवादी नेतृत्व ने महिलाओं को सुरक्षा बलों पर हमलों के दौरान मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया। नक्सली हताहतों की सूची में 4 केंद्रीय समिति (सीसी) सदस्य और 15 राज्य समिति स्तर के सदस्य शामिल हैं, जिससे संगठन के वरिष्ठ नेतृत्व और संचालन क्षमता को गहरा नुकसान हुआ है।
विशेष रूप से माओवादी संगठन को दंडकारण्य क्षेत्र, जो बस्तर रेंज के जिलों और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में फैला है, में सबसे अधिक क्षति हुई है, जहां पिछले एक वर्ष में 281 नक्सली मारे गए। यह तथ्य सीपीआई (माओवादी) द्वारा जारी 24 पृष्ठों की एक पुस्तिका में सामने आए हैं, जिसमें माओवादी कैडर को हुई भारी क्षति की पुष्टि की गई है और इसका कारण सतत नक्सल विरोधी अभियानों और आम जनता में बढ़ते विरोध को बताया गया है।
-सीपीआई (माओवादी) अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पट्टलिंगम ने कहा कि सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों और स्थानीय समुदायों के बढ़ते सहयोग ने माओवादियों को उनके सबसे कमजोर चरण में पहुँचा दिया है। वरिष्ठ नेतृत्व और सक्रिय कैडर की क्षति ने उनके संगठनात्मक ढांचे को गंभीर रूप से कमजोर बना दिया है।
हमारी सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता अडिग है। यह केवल एक सुरक्षा अभियान नहीं, बल्कि शांति बहाली, विकास सुनिश्चित करने और आदिवासी समुदायों को माओवादी हिंसा और शोषण से बचाने का संकल्प है।
स्थायी शांति हेतु सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता
सुंदरराज पट्टलिंगम, आईजीपी बस्तर रेंज ने यह भी बताया कि बस्तर क्षेत्र में तैनात पुलिस और सुरक्षा बल कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य कर रहे हैं।
भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा के अनुरूप, सुरक्षा बल जनहितकारी और विकास-केन्द्रित रणनीति अपना रहे हैं। यह रणनीति सूचना आधारित अभियानों के साथ मिलकर हालिया समय में उल्लेखनीय सफलता ला रही है और बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रही है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने की अपील
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पट्टलिंगम ने एक बार फिर माओवादी कैडरों से हिंसा का रास्ता छोड़ने और सामाजिक मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि माओवाद छोड़ने वालों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनर्वास नीति का लाभ उठाकर वे सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा का रास्ता अब तक सिर्फ पीड़ा और विनाश लेकर आया है, और अब वक्त आ गया है कि माओवादी कैडर सही फैसला लें, अपने परिवारों से फिर जुड़ें, शांति के साथ जीवन बिताएं और विकास में भागीदार बनें।

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