बिलासपुर छत्तीसगढ़ । हाई कोर्ट ने पड़ोसी से हुए झगड़े में पत्थर मारकर हत्या करने के मामले में उम्रकैद की सजा पाए दो भाइयों की अपील आंशिक रूप से मंजूर कर ली है। अदालत ने पाया कि हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि झगड़े के दौरान हुई। इस आधार पर आइपीसी की धारा 302 के तहत दी गई उम्रकैद को घटाकर धारा 304 भाग-2 के तहत 8 साल 10 महीने की जेल अवधि को पर्याप्त माना और दोनों को रिहा कर दिया।
घटना 19 अगस्त 2014 को राजनांदगांव जिले के ग्राम सिंगदई की है। मृतक उदयराम निषाद और आरोपित तोरन निषाद और गणेश निषाद उनके पड़ोसी थे। आरोप था कि मृतक के तीन वर्षीय बेटे की गाली-गलौच की बात को लेकर विवाद हुआ और गुस्से में आकर दोनों भाइयों ने पत्थर से हमला कर दिया, जिससे उदयराम को सिर में गंभीर चोटें आईं। अगले दिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मेडिकल रिपोर्ट में सिर की चोट को मृत्यु का कारण बताया गया। प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, राजनांदगांव की अदालत ने 17 अगस्त 2016 को दोनों आरोपियों को आइपीसी की धारा 302/34 के तहत दोषी मानते हुए उम्रकैद और 2000-2000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी। जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की डिवीजन बेंच ने कहा कि, यह हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी, न ही आरोपियों की कोई क्रूरता या विशेष लाभ उठाने की मंशा थी। झगड़ा अचानक हुआ और आरोपितों ने गुस्से में आकर पत्थर से वार किया। आरोपितों को यह ज्ञान होना चाहिए था कि चोट गंभीर हो सकती है, लेकिन हत्या की मंशा साबित नहीं हुई। अतः यह मामला धारा 304 भाग-2 (गैरइरादतन हत्या) के अंतर्गत आता है।
कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपित 21 अगस्त 2014 से 22 जून 2023 तक लगभग 8 वर्ष 10 माह जेल में बिता चुके हैं। अतः उन्हें अब और सजा देने की आवश्यकता नहीं है। दोनों अपीलकर्ताओं को रिहा कर दिया गया और कहा गया कि उनके जमानत बांड 6 माह तक प्रभावी रहेंगे।

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