बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देशित किया है कि वे याचिकाकर्ता जोहनराम पटेल द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर सात सप्ताह के भीतर सकारात्मक निर्णय लें।
जोहनराम पटेल, जो वर्तमान में शासकीय माध्यमिक शाला, नगर निगम बिरबिरा, आरंग रायपुर में शिक्षक पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में शिक्षा कर्मी वर्ग-3 के रूप में जिला पंचायत के माध्यम से नियुक्ति प्राप्त की थी। इसके बाद वर्ष 2018 में उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग के तहत शिक्षक पंचायत (नगर निगम) के पद पर संविलियन किया गया। सरकार द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, संविलियन तिथि यानी 31 अगस्त 2018 से सेवा अवधि की गणना करते हुए, इन्हें पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत नहीं लाकर नई पेंशन योजना का लाभ प्रदान किया गया। इससे असंतुष्ट होकर श्री पटेल ने वर्ष 2023 में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव के समक्ष एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था।
उन्होंने अपने अभ्यावेदन में यह आग्रह किया कि चूंकि उनकी मूल नियुक्ति 28 फरवरी 1995 को नगर निगम क्षेत्र के विद्यालय में हुई थी, अतः सेवा की गणना उसी तिथि से की जाए और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के अंतर्गत उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्रदान किया जाए। दो वर्षों तक कोई उत्तर न मिलने पर जोहनलाल पटेल ने अधिवक्ता नसीमुद्दीन अंसारी और गुलशन आरा के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के वकीलों ने न्यायालय को बताया कि श्री पटेल की नियुक्ति 1995 में हुई थी और उसके बाद किसी प्रकार की नई नियुक्ति नहीं हुई है, इसलिए उन्हें उसी तिथि से सेवा अवधि की गणना का अधिकार है। उपलब्ध तथ्यों से सहमति जताते हुए उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि वे याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर 7 सप्ताह के भीतर विधिवत विचार कर उचित निर्णय लें, विशेष रूप से पुरानी पेंशन योजना और अन्य देयों के संबंध में।

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