बिलासपुर छत्तीसगढ़ । नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। नगर पलिक अधिनियम में दिए गए प्रावधानों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा जारी तबादला आदेश को निरस्त करते हुए कहा है कि निकाय के कर्मचारियों को एक से दूसरे नगर निगम में तबादला नहीं किया जा सकता।
संयुक्त संचालक क्षेत्रीय कार्यालय, रायपुर संभाग, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में पदस्थ असिस्टेंट इंजीनियर अनुराग शर्मा की नगर पालिक परिषद, बिरगांव में उप अभियंता के पद पर 11मई.2006 के आदेश के तहत पदस्थ किया गया था। 22.जुलाई 20214 को राज्य शासन ने अधिसूचना जारी कर नगर पालिक परिषद, बिरगांव को नगर निगम घोषित कर दिया । इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने याचिकाकर्ता को सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नत कर संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास, क्षेत्रीय कार्यालय में अटैच कर दिया। 24 नवंबर.2021 को एक आदेश जारी कर याचिकाकर्ता का तबादला रायगढ़ नगर निगम कर दिया। नगरीय प्रशासन विभाग के इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में नगर निगम अधिनियम, 1956 की धारा 58(5) और 58(6) का हवाला देते हुए कहा कि विभागीय अधिकारियों ने सब जानते हुए भी नियमों का उल्लंघन किया है। इसमें साफ लिखा है कि एक नगर निगम के कर्मचारियों को दूसरे नगर निगम में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि किया गया तबादला कानूनी प्रावधानों के अनुसार नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी लिखा है कि राज्य शासन द्वारा पारित स्थानांतरण आदेश से पता चलता है कि यह न तो प्रतिनियुक्ति आदेश था और न ही ग्रहणाधिकार,लिहाजा याचिकाकर्ता के संबंध में पारित स्थानांतरण आदेश को कानून के अनुसार नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी के साथ राज्य शासन द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया है।

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