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May 22, 2025 7:33 pm

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रिटायर अफसर ने 20 साल लड़ा मुकदमा, हाई कोर्ट से मिली राहत

बिलासपुर छत्तीसगढ़ । महिला बाल विकास विभाग की रिटायर अधीक्षिका का प्रमोशन का मामला सिस्टम का भेंट चढ़ गया है। अफसरों ने पदोन्नति में ना केवल जानबुझकर अड़ंगा लगाया साथ ही हाई कोर्ट में भी दस्तावेजों के संबंध में झूठी जानकारी पेश की। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पदोन्नति मामले में समाज कल्याण विभाग के अफसरों ने जिस तरह अड़ंगा लगाया है उसे लेकर कड़ी टिप्पणी भी की है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रमोशन देने और वर्ष 2007 से पदोन्नति पद के हिसाब से पेंशन का निर्धारण करने और रिटायरमेंट ड्यूज का भुगतान 90 दिनों के भीतर करने का निर्देश राज्य शासन को दिया है।

रिटायर अधीक्षिका मंगला शर्मा ने अपनी याचिका में जानकारी दी है कि उससे जूनियर आधा दर्जन अफसरों काे पदोन्नति दे दी। कभी ग्रेडेशन लिस्ट में विवाद तो कभी पुरानी रिकवरी को कारण बताकर अफसरों ने उसे जानबुझकर पदोन्नति से वंचित किया गया। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सचिव समाज कल्याण विभाग को नोटिस जारी कर निर्देशित किया है कि वे 22 नवंबर 2007 को हुई डीपीसी की तर्ज पर समीक्षा डीपीसी बुलाएं, ताकि याचिकाकर्ता के सहायक निदेशक/उप निदेशक, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के पद पर पदोन्नति के मामले पर विचार किया जा सके।

याचिकाकर्ता मंगला शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि 15 फरवरी 1972 को प्रोबेशन ऑफिसर” (वर्ग तीन) के रूप में नियुक्त किया गया था। उसके बाद उन्हें 19 अक्टूबर 1981 को समाज कल्याण विभाग में अधीक्षक, यानी सहायक निदेशक कैडर (राजपत्रित) के पद पर पदोन्नत किया गया, जो उनकी सेवानिवृत्ति यानी 31 मार्च 2017 तक था। याचिका के अनुसार 2 फरवरी 1999 को आयोजित विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) में अधीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। बाद में 22 अक्टूबर 2007 को फिर से सहायक निदेशक / उप निदेशक के पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी आयोजित की गई थी लेकिन उसके नाम पर उस डीपीसी में भी इस आधार पर विचार नहीं किया गया था कि उनके एसीआरएस उपलब्ध नहीं थे। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2017 को सचिव पंचायत व समाज कल्याण विभाग को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को उप निदेशक, पंचायत और समाज कल्याण विभाग, रायपुर के पद पर सभी परिणामी लाभों के साथ पदोन्नति के मामले पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने सचिव, समाज कल्याण विभाग के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 14 मई 2018 को आदेश जारी कर 28 अगस्त 2017 के आदेश का पालन करने कहा। सचिव समाज कल्याण विभाग ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को 4 जून 2018 को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। कोर्ट ने इस पर फैसला देते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को 22 नवबंर 2007 को आयोजित डीपीसी में सहायक निदेशक/उप निदेशक, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के पद पर पदोन्नति पर विचार करने से अवैध रूप से वंचित किया गया है। इसलिए सचिव समाज कल्याण विभाग द्वारा 4 जून 2018 को जारी विवादित आदेश को रद्द किया जाता है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन

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