बिलासपुर। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के उपचार के दौरान हुई मौत के मामले में अपोलो अस्पताल के पूर्व डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव से सरकंडा पुलिस ने पूछताछ पूरी कर ली है। न्यायालय में पेशी के बाद उसे दोबारा दमोह जेल भेज दिया गया है। पूछताछ में मिले तथ्यों के आधार पर पुलिस अब डॉक्टर के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन कराएगी।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र डॉ. प्रदीप शुक्ला ने सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि वर्ष 2006 में अपोलो अस्पताल में उपचार के दौरान उनके पिता की संदिग्ध परिस्थिति में मृत्यु हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि हार्ट स्पेशलिस्ट के रूप में उपचार करने वाले डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य की योग्यता पर संदेह है। इस पर पुलिस ने दमोह जेल में बंद आरोपित डॉक्टर को प्रोडक्शन वारंट पर बिलासपुर लाकर दो दिन तक पूछताछ की।
पूछताछ में डॉक्टर ने बताया कि उसने एमबीबीएस कोलकाता से किया और पीजी डिग्री दार्जिलिंग से ली थी। साथ ही यूके व यूएस में नौकरी और पढ़ाई करने का भी दावा किया। पुलिस अब इन सभी शैक्षणिक संस्थानों से उसकी डिग्रियों की वैधता की पुष्टि करेगी। साथ ही अपोलो अस्पताल से डॉक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया और दस्तावेजों की जानकारी भी जुटाई जाएगी।
उधर, दमोह पुलिस भी डॉक्टर के खिलाफ फर्जी डिग्री के मामले में जांच कर रही है। डॉक्टर वर्तमान में दमोह के एक मिशन अस्पताल में कार्यरत था, जहां उसके उपचार के दौरान कई मरीजों की मौत हुई। एक शिकायतकर्ता ने डॉक्टर की डिग्री पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद जांच में उसकी योग्यता संदिग्ध पाई गई। दमोह पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया।
अब बिलासपुर और दमोह पुलिस संयुक्त रूप से डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के खिलाफ जांच को आगे बढ़ा रही है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन