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September 10, 2025 12:23 am

R.O. N0.17

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PHQ में सेंट्रल कुलिंग सिस्टम के नाम पर हर साल 27 लाख का वारा-न्यारा, 42 डिग्री में तप रहे कर्मचारी अफसरों को फिक्र ही नहीं


एसी की ठंडी हवा में अफसर, 42 डिग्री में झुलस रहे कर्मचारी

27 लाख खर्च, हवा फिर भी गर्म ,सिस्टम ने पूरे सिस्टम का ही कबाड़ा कर दिया

रायपुर छत्तीसगढ़ ।नए डीजीपी के पदभार ग्रहण करने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि पीएचक्यू की हालात सुधरेगी। पर ऐसा नहीं हो पाया है। छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है। सुबह से लेकर पूरी रात गर्म थपेड़ों के बीच लोगों को अपनी दिनचर्या गुजारनी पड़ रही है।

तापमान 42 डिग्री को पार कर रहा है। सड़क से लेकर कार्यालय और घर सब तप रहा है। कूलर की हवा भी राहत नहीं पहुंचा पा रही है। ऐसे में पीएचक्यू में कुछ अलग ही चल रहा है। कर्मचारी भीषण गर्मी और लू के थपेडों के बीच काम कर रहे हैं। पसीने से लथपथ और लू के थपेड़े खाते फाइलों को निपटाने की मजबूरी और एक से दूसरे टेबल तक भेजने की आपाधापी। कल्पना कीजिए। कर्मचारी किस हालात में काम करते होंगे और फाइलें किस अंदाज में सरकती होंगी। सिस्टम ने पूरे सिस्टम का ही कबाड़ा कर दिया है।


पीएचक्यू में सीटिंग अरेंजमेंट पर नजर डालें तो ऊपर की मंजिल पर अफसरों का दफ्तर है। नीचे के कार्यालयों में डिपार्टमेंट के अनुसार कर्मचारी फाइलों को निपटाते हैं, लिहाजा कर्मचारियों का कार्यालय है। कर्मचारियों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए सेंट्रल कुलिंग सिस्टम लगा हुआ है। दूर से देखने पर लगता है कि कर्मचारियों के कार्यालय का माहौल मनाली जैसा ठंडा होगा। जाने पर पता चलता है कि जैसलमेर जैसे भीषण गर्मी से कर्मचारी तप रहे हैं और परेशान हैं। कारण दूर से बेहद अच्छा दिखने वाला कुलिंग सिस्टम पूरी तरह कबाड़ हो गया है। हवा भी चलती है तो गर्म और लू के थपेड़ों जैसी।


27 लाख खर्च, हवा फिर भी गर्म ?


इस साल सेंट्रल कुलिंग को दुरुस्त करने और ठंडी हवा के लिए पीएचक्यू ने 27 लाख रुपये खर्च किया है। भारी भरकम राशि खर्च करने के बाद भी सिस्टम दुरुस्त नहीं हो पाया है। कमोबेश हर साल मेंटनेंस के नाम पर लाखों रुपये फूंक दिया जाता है। लाखों खर्च करने के बाद भी ठंडी हवा के लिए कर्मचारी तरस रहे हैं।


एसी की ठंडी हवा में अफसर, 42 डिग्री में झुलस रहे कर्मचारी


कर्मचारियों की एक शिकायत यह भी है कि अफसरों के चेंबर में एसी लगा हुआ है। ठंडी हवा खाने वाले अफसरों को इस बात का परवाह ही नहीं है कि नीचे कर्मचारी गर्मी में झुलस रहे हैं और परेशान हैं।

कर्मचारियों का तो यहां तक कहना है कि भीषण गर्मी में हम लोग कैसे काम कर रहे हैं इसकी चिंता करने के लिए अफसरों के पास समय नहीं है। ऊपर से उतरकर नीचे झांकने की फूर्सत नहीं है। किसी कर्मचारी से कोई गलती हो जाए तो सस्पेंड करने में समय नहीं लगाते।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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