बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।प्रमोशन के बाद सहायक शिक्षकों के बिना काउंसलिंग ही स्कूल शिक्षा विभाग ने मनमाने ढंग से नई जगहों पर पदस्थापना कर दिया था। इस फैसले को बिलासपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पदोन्नति के बाद पदस्थापना आदेश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने डीपीआई को 30 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता शिक्षकों के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
बिलासपुर जिले के कई सहायक शिक्षक (एल.बी.) जैसे कि सूरज कुमार सोनी, हलधर प्रसाद साहू, रमेश कुमार साहू, शिप्रा सिंह बघेल और ज्ञानचंद पांडे, को हेड मास्टर के पद पर पदोन्नत किया गया था। पदोन्नति के बाद विभाग के आला अफसरों ने मनामने तरीके से पोस्टिंग कर दी। जबकि उनके पुराने स्कूलों में ही हेड मास्टर के पद खाली थे।

अधिकारियों पर नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते शिक्षकों ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार राज्य सरकार ने पहले ही स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं कि, यदि जिस स्कूल में शिक्षक पदस्थ हैं, हेड मास्टर का पद खाली है, तो वहीं पोस्टिंग मिलनी चाहिए। साथ ही, अगर उसी ब्लॉक में पद हो, तो वहां प्राथमिकता दी जाए, लेकिन अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि जब तक शिक्षकों का आवेदन (अभ्यावेदन) डीपीआई के पास लंबित है, तब तक उनके पदोन्नति आदेश पर रोक रहेगी। साथ ही शिक्षकों को उनके पुराने स्कूलों में काम करने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि डीपीआई (लोक शिक्षण संचालनालय) को याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा।

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