छतीसगढ़ ।छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सोमवार को बिलासपुर के जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक केवल किसी एक समुदाय के नहीं, बल्कि पूरे समाज के साथ न्याय करने वाला कानून है। भाजपा की सोच है कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जाए और उनका सही उपयोग मुस्लिम समाज के विकास में हो जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण ।प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बिल हर समाज के साथ न्याय करने वाला है, न कि कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों का

उपमुख्यमंत्री साव ने कहा कि यह विधेयक पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने बताया कि संसद के दोनों सदनों में लंबी चर्चा के बाद यह विधेयक पारित हुआ, जो अब वक्फ बोर्ड के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगा।
बोर्ड परिषद की सदस्यता
श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड की परिषद में सिर्फ मुस्लिम सदस्य के पुरुष शामिल हो सकते हैं। अब वक्फ बिल पास होने के बाद परिषद में 2 मुस्लिम महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा।
संपत्ति पर दावा (सेक्शन 40)

श्री साव ने कहा कि पहले सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा घोषित कर सकता था। अब वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर मालिकाना हर ठोकने से पहले सत्यापन करना अनिवार्य होगा कि वो संपत्ति वास्त में वक्फ बोर्ड की ही है। सेक्शन 40 को खत्म कर पारदर्शिता लाई जा रही है।
सरकारी संपत्ति का दर्जा
श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड सरकारी संपत्ति पर भी दावा कर सकता था। अब सरकारी संपत्ति वक्फ से बाहर होगी और वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं मिलेगा।
अपील का अधिकार

श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड के खिलाफ सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया जा सकता था। वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी होता था और इसे किसी भी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जाती थी। अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के भीतर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है
प्रबंधन और निगरानी
श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड के खिलाफ कई बार दुरुपयोग की शिकायतें सुनने को मिलती रही हैं। कई लोगों का दावा रहा है कि वक्फ उनकी संपत्ति पर जबरन दावा ठोक देता है। अब वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मुख्यालय में होगा।
विशेष समुदायों के अलग प्रावधान
श्री साव ने बताया कि पहले वक्फ बोर्ड में सभी के लिए समान कानून थे। अब बोहरा और आगाखानी मुसलमानों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाया जाएगा।
वक्फ बोर्ड के सदस्य
श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड पर कुछ विशेष मुस्लिम समुदायों का कब्जा था। अब वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी समेत पिछड़े वर्ग के मुस्लिम समुदायों से भी सदस्य बनेंगे।
तीन सांसदों की एंट्री
श्री साव ने कहा कि पहले सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 3 सांसद (2 लोकसभा और 1 राज्यसभा) होते थे और तीनों सांसदों का मुस्लिम होना जरूरी था। अब केंद्र सरकार तीन सांसदों को सेंट्रल वक्फ काउंसिल में रखेगी और तीनों का मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं है।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि देश में रेलवे की कुल जमीन 33 लाख एकड़, सेना (सेना या रक्षा मंत्रालय) की कुल जमीन 17 लाख एकड़ और वक्फ बोर्ड की कुल जमीन 9.4 लाख एकड़ है। वक्फ के पास 1.2 लाख करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति है।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि 8 अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया था, इसके बाद इसे JPC में भेज दिया गया था।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने बताया कि वक्फ सेंट्रल काउंसिल में 22 सदस्यों में 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे। अधिकतम 4 सदस्य गैर मुस्लिम होंगे। तीन सांसद होंगे। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज होंगे और एक एडवोकेट होंगे।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि देश के आदिवासियों के हित को देखते हुए शेड्यूल 5 और शेड्यूल 6 में वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट नहीं कर सकते हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल में 3 सदस्य होंगे। उनका कार्यकाल 6 साल का होगा।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि वक्फ बोर्ड पर सबसे गंभीर सवाल यह है कि देश में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड अलग-अलग क्यों हैं? वक्फ बोर्ड की मनमानी ऐसी है कि ताजमहल तक पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन