Explore

Search

July 2, 2025 2:56 am

R.O.NO.-13250/14

Advertisement Carousel

स्मार्ट सिटी में ये कैसी भर्राशाही, ना अनुमति और ना ही निगरानी…. फिर भी चला रहे हास्टल व पेइंग गेस्ट हाउस

बिना टैक्स और निगरानी के कर रहे कमर्शियल उपयोग

WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_4c6b1664
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_6350de1c
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_6dc79aad
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_fe49f8b4

बिलासपुर। हमारा बिलासपुर देश के टाप 100 शहरों की सूची में स्मार्ट सिटी के तौर पर शामिल है। केंद्र व राज्य शासन के रिकार्ड में स्मार्ट सिटी के रूप में शामिल बिलासपुर में कुछ भी स्मार्ट होते दिखाई नहीं दे रहा है। आधारभूत सुरक्षा के उपाय भी नहीं किए जा रहे हैं। शहरवासियों को सुविधा और सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। अवैध कालोनियों की तो शहर के भीतर बाढ़ सी आ गई है और अब अवैध हास्टल और पेइंग गेस्ट की परंपरा भी शुरू हो गई है।

WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.15_d51e7ba3
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.14_1c66f21d
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.14_eaaeacde

हास्टल का संचालन और पेइंग गेस्ट की परंपरा के पीछे लोग चंद रूपयों की खातिर आसपास के लोगों की सुरक्षा को किस तरह ताक पर रख रहे हैं और उनके लिए खतरा पैदा कर रहे हैं,इस बात की चिंता ना तो निगम के अफसरों को है और ना जिला प्रशासन को।
बिना अनुमति संचालित हो रहे हास्टल और पेइंग गेस्ट हाउस से चौतरफा खतरा बढ़ गया है। शहरवासियों की सुरक्षा के साथ ही निगम के खजाने को भी चोंट पहुंचाने का काम किया जा रहा है। शहर के भीतर ऐसा कोई वार्ड व मोहल्ला नहीं जहां गर्ल्स और ब्वायज के नाम से हास्टल का संचालन ना हो रहा हो। घरों के सामने बोर्ड या फिर फ्लैक्स में गर्ल्स और ब्वायज हास्टल का बोर्ड टंगे देखा जा सकता है। ऐसा भी नहीं इस बात की जानकारी निगम के अफसरों को नहीं। जानकारी होने के बाद भी अनजान बने हुए हैं। सुरक्षा के साथ ही निगम के खजाने को भी नुकसान पहुंचाने का काम किया जा रहा है। अचरज की बात कि हास्टलों और पेइंग गेस्ट में रूप में जिन लोगों को रखा जाता है उनका कोई रिकार्ड ना तो हास्टल संचालित करने वालों के पास होता है और ना ही निगम के पास। पुलिस और जिला प्रशासन की तो बात ही छोड़ दीजिए।

बिना टैक्स और निगरानी के कर रहे कमर्शियल उपयोग
अधिकांश हॉस्टल और पेइंग गेस्ट हाउस व्यावसायिक रूप से संचालित हो रहे हैं, लेकिन क्या ये वास्तव में कमर्शियल टैक्स अदा करते हैं? जिस तरह से ये आवासीय क्षेत्रों में धड़ल्ले से खुल रहे हैं, उन्हें व्यावसायिक इकाइयों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। मगर न तो नगर निगम की ओर से इनकी नियमित जांच होती है और न ही स्थानीय प्रशासन इनके संचालन पर सख्ती से नजर रखता है।

सुरक्षा को रखा ताक पर, जरुरी जानकारी भी नहीं रख रहे
बाहरी राज्यों और जिलों से आने वाले छात्र, नौकरीपेशा लोग और अन्य व्यक्ति इन हॉस्टलों में रहते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि थाना क्षेत्र के पास इनका पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध हो। ठहरने वालों के पहचान पत्र, वेरिफिकेशन प्रक्रिया और उनकी पृष्ठभूमि की जांच की जानी चाहिए, जिससे किसी भी आपराधिक गतिविधि को रोका जा सके।

संभावित खतरे और समाधान
बढ़ते अपराधों और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को देखते हुए यह आवश्यक है कि हर हॉस्टल और पेइंग गेस्ट हाउस को स्थानीय प्रशासन के अधीन पंजीकृत किया जाए। बिना सत्यापन किसी को भी ठहराने की अनुमति न दी जाए और नियमित जांच की व्यवस्था की जाए। यदि यह लापरवाही जारी रही, तो आने वाले समय में यह बड़ी समस्याओं को जन्म दे सकती है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

CRIME NEWS

BILASPUR NEWS