विस्तार में दो नहीं, बल्कि पांच से छह मंत्री प्रभावित हो सकते हैं
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार को सत्ता में आए 14-15 महीने से अधिक का समय बीत चुका है। प्रदेश की जनता ने कांग्रेस सरकार में व्याप्त अराजकता और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए पूर्ण बहुमत से भाजपा को सत्ता सौंपी थी। सरकार ने अपने पहले वर्ष की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की, जिसमें विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों का लेखा-जोखा दिया गया।
भाजपा ने हाल ही में संपन्न नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की, जिससे पार्टी का जनाधार और मजबूत हुआ। जनता ने एक बार फिर भाजपा पर विश्वास जताया और गांव से लेकर शहर तक कमल खिलाने का काम किया। हालांकि, सत्ता और संगठन के समन्वय को लेकर कार्यकर्ताओं में असंतोष की खबरें भी सामने आ रही हैं।
कार्यकर्ताओं की अनदेखी बनी चिंता का विषय

भाजपा संगठन की रीढ़ माने जाने वाले कार्यकर्ताओं में यह भावना घर कर रही है कि सत्ता में आने के बाद उनकी अनदेखी की जा रही है। परिश्रम करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं की जगह बाहरी और आयातित लोगों को प्राथमिकता दिए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इससे अंत्योदय के सिद्धांत पर आधारित भाजपा की राजनीति प्रभावित हो रही है।
सत्ता और संगठन के बीच समन्वय की कमी के कारण पार्टी में असंतोष की स्थिति पैदा हो रही है। कार्यकर्ता यह महसूस कर रहे हैं कि वे केवल सत्ता तक पहुंचने का माध्यम बनकर रह गए हैं, जबकि असली निर्णय प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सीमित हो गई है।
मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पूर्व कांग्रेस सरकार की तरह भाजपा सरकार में भी राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिशें जारी हैं। सत्ता में आने के बाद डेढ़ वर्ष बीत चुका है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री इस प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरत रहे हैं, जिससे मंत्रिमंडल विस्तार की गति धीमी हो गई है।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरों के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चाएं तेज हो जाती हैं। सूत्रों के अनुसार, आगामी विस्तार में दो नहीं, बल्कि पांच से छह मंत्री प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, निगम-मंडलों में भी बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
संगठन में संभावित बदलाव
प्रदेश संगठन में भी व्यापक फेरबदल की संभावनाएं जताई जा रही हैं। वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शन की भूमिका में लाया जा सकता है, जबकि नए चेहरों को संगठन की बागडोर सौंपी जा सकती है। बस्तर से मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना को देखते हुए, संगठन में सरगुजा और न्यायधानी क्षेत्र के नेताओं को नई जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
संघ और भाजपा के समन्वय से होगा संतुलन
संघ और भाजपा के समन्वय के आधार पर सत्ता-संगठन में तालमेल बैठाने की रणनीति तैयार की जा रही है। नए सिरे से नियुक्तियां करते हुए पार्टी नेतृत्व एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर विचार कर रहा है, जिससे सरकार, संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित हो सके।
राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म
प्रदेश में सत्ता और संगठन को लेकर विभिन्न अटकलों और चर्चाओं का बाजार गर्म है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि समय पर सही संतुलन नहीं साधा गया तो आने वाले समय में भाजपा के लिए कठिनाइयां खड़ी हो सकती हैं।
भाजपा के कैडर बेस कार्यकर्ता अनुशासन के साथ संगठन के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करने में विश्वास रखते हैं, लेकिन जब कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती है, तो असंतोष बढ़ना स्वाभाविक है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व इस असंतोष को दूर करने के लिए क्या कदम उठाता है और मंत्रिमंडल विस्तार तथा संगठन में बदलाव की प्रक्रिया को कैसे अंजाम दिया जाता है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief