रायपुर। राज्य सरकार का जीरो टालरेंस की नीति अब सख्ती दिखाने लगी है। एसीबी ने रिश्वतखोर निरीक्षक, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को अरेस्ट कर जेल भेज दिया है। सक्ती जिले के आरआई व सारंगढ़ जिले के हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल को रिश्वत लेते एसीबी ने रंगे हाथों गिरफ़्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद तीनों रिश्तखोरों को जेल भेज दिया है।
भरतलाल निवासी-ग्राम भातमाहूल तहसील हसौद जिला-सक्ती द्वारा एन्टी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर में शिकायत की गई थी कि उसके और उसके माता पिता के नाम की भूमि ग्राम भातमाहूल में स्थित है जिसके सीमांकन कार्य के लिये न्यायालय तहसीलदार हसौद जिला-सक्ती द्वारा राजस्व निरीक्षक कुटराबोड बद्रीनारायण को आदेश किया गया था जिससे संपर्क करने पर आरोपी राजस्व निरीक्षक द्वारा 1 लाख रूपये रिश्वत की मांग की गई थी। प्रार्थी का सीमांकन करने के बजाय आरोपी द्वारा बार-बार रिश्वत की मांग की जा रही थी।

प्रार्थी आरोपी राजस्व निरीक्षक को रिश्वत नहीं देना चाहता था बल्कि उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। शिकायत का सत्यापन पश्चात् 24.01.2025 एसीबी बिलासपुर द्वारा ट्रेप आयोजित कर रिश्वती रकम की पहली किश्त 30 हजार रूपये लेते हुये राजस्व निरीक्षक बद्रीनारायण को रंगे हाथों पकड़ा गया।
आरोपी को अभिरक्षा में लेकर उनके विरूद्ध धारा 7 पीसीएक्ट 1988 के प्रावधानों के तहत् कार्यवाही की जा रही है।
रंगे हाथों पकड़ाए हवलदार एवं आरक्षक

महेन्द्र साहू निवासी ग्राम गिरसा थाना सरसींवा जिला-सारंगढ़ द्वारा एन्टी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर में शिकायत की गई थी कि उसके और उसके पिता के मध्य कुछ विवाद हुआ था जिसकी शिकायत उसके पिता ने थाना-सरसींवा जिला-सारंगढ़ में की थी।

शिकायत के निपटारे के लिये हवलदार सुमत डहरिया एवं आरक्षक कमल किशोर द्वारा 18,000 रूपये की मांग की गई थी जिसमें से 1500 रू. पेटीएम एवं 5000 रूपये नगद तत्काल उससे ले लिया गया था और बचे हुये रकम की मांग बार-बार उससे की जा रही थी।
प्रार्थी रिश्वत नहीं देना चाहता था बल्कि उन दोनो को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। शिकायत का सत्यापन पश्चात् आज दिनांक 24.01.2025 एसीबी बिलासपुर द्वारा ट्रेप आयोजित कर बची हुई रकम 10 हजार रूपये लेते हुये आरोपीगण सुमत डहरिया एवं कमल किशोर को रंगे हाथों पकड़ा गया। आरोपियों को अभिरक्षा में लेकर उनके विरूद्ध धारा 7 पीसीएक्ट 1988 के प्रावधानों के तहत् कार्यवाही की जा रही है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief