बिलासपुर। प्रदेश के जेलों में बंद कैदियों के अप्राकृतिक मौत और परिजनों के जीवन यापन के लिए मुआवजा के प्रावधान को लेकर दायर जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से कहा कि कैदियों की अप्राकृतिक मौत की स्थिति में परिजनों को मुआवजा का प्रावधान होना चाहिए। इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।
जेल में सुधार सहित अन्य मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में पीआईएल पर सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस संबंध में गंभीरता के साथ विचार करने की जरुरत है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व में डिवीजन बेंच के निर्देश पर राज्य शासन की ओर से शपथ पत्र पेश कर जानकारी दी गई थी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि वर्ष 2019 से 2024 तक बीते पांच साल के दौरान जेल में बंद कैदियों की मौत के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि अब तक जेल में रहने के दौरान बीमारी या अन्य कारणों से 62 कैदियों की मौत हुई है। 2024 में एक कैदी की अप्राकृतिक मौत की जानकारी दी।

26 नवंबर 2024 को पीआईएल की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया था। इसमें बताया था कि प्रदेश की जेलों में ओवरक्राउड चल रहा है। क्षमता से अधिक कैदी रह रहे हैं। इसके चलते इनके बीच संघर्ष की स्थिति भी बनती है और एक दूसरे पर कभी-कभी जानलेवा हमला भी कर देते हैं। बिलासपुर व बेमेतरा में ओपन जेल के निर्माण की जानकारी भी दी गई थी।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief