बिलासपुर। तारबाहर क्षेत्र में रहने वाले एक वृद्ध को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने और डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 57 लाख रुपये की ठगी करने वाले साइबर जालसाज को सिविल लाइन पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी लंबे समय से ऑनलाइन ठगी के नेटवर्क को संचालित कर रहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में कार्रवाई की है।

सिविल लाइन सीएसपी निमितेष सिंह ने बताया कि पीड़ित वृद्ध ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि अगस्त महीने में उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा कि एक निजी कंपनी के डायरेक्टर नरेश गोयल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया है और जांच में सामने आया है कि पीड़ित के आधार कार्ड व बैंक खाते से करोड़ों रुपये का संदिग्ध लेनदेन हुआ है। जालसाज ने वृद्ध को बताया कि वे इस मामले में आरोपी बनाए जा सकते हैं और तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया जाएगा। डर के माहौल में फंसे बुजुर्ग ने जब अपनी सफाई दी तो जालसाजों ने जांच के बाद क्लीन चिट देने का झांसा दिया। इसके लिए उन्होंने पीड़ित से कहा कि अपने बैंक खाते में जमा पूरी रकम आरबीआई के बताए गए खाते में ट्रांसफर करनी होगी। लगातार कॉल और धमकियों से घबराकर वृद्ध ने अपने खाते से 57 लाख रुपये बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए। कुछ समय बाद जब कॉल बंद हो गए, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने बैंक डिटेल्स और ट्रांजेक्शन की जांच शुरू की। तकनीकी जांच में पता चला कि इस ठगी का मास्टरमाइंड नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के शांतिनगर में रहने वाला मनिंदर सिंह (54) है। पुलिस टीम ने दिल्ली में दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ठगी की रकम को खपाने के लिए लेगेसी लोन नाम का एक मोबाइल एप संचालित करता था। इस एप का प्रचार इंटरनेट मीडिया के जरिए किया जाता था। एप के माध्यम से लोगों को लोन देकर ठगी की रकम बाजार में खपा दी जाती थी और बाद में किस्तों के जरिए उसकी वसूली की जाती थी। गिरोह फर्जी सिम कार्ड और बैंक खातों का इस्तेमाल कर पूरे नेटवर्क को संचालित करता था।
पुलिस की टीम में ये रहे शामिल
इस कार्रवाई में निरीक्षक गोपाल सतपथी, एएसआई अरविंद सिंह, जीवन साहू, प्रधान आरक्षक सैयद साजिद और आरक्षक चिरंजीव कुमार की अहम भूमिका रही। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है और लोगों से अपील की है कि किसी भी तरह के डिजिटल अरेस्ट या ऑनलाइन जांच के नाम पर आने वाले कॉल से सतर्क रहें।
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