छत्तीसगढ़,वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को न्याय और कर्मफल का निर्णायक माना गया है। आम जीवन में कठोर वास्तविकताओं एवं अनुशासन का प्रतीक ग्रह शनि, व्यक्ति के जीवन में संघर्षों के साथ-साथ आत्मविकास और स्थिर सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि की स्थिति और इसकी दशा-गोचर जीवन में परीक्षाओं के साथ परिपक्वता भी प्रदान करती है।
शनि का स्वभाव और ज्योतिषीय पहचान
शनि को कर्म, न्याय, अनुशासन, सेवा, तकनीक, मशीनरी, तेल, लोहा, आयु, रोग, पीड़ा और अध्यात्म का कारक माना जाता है। यह ग्रह जहां कठोरता लाता है, वहीं जीवन में स्थिरता और दृढ़ता का भी निर्माण करता है।
शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी तथा तुला में उच्च और मेष में नीच माने जाते हैं। नक्षत्रों में पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद शनि के अधिकार में आते हैं।
शुभ और अशुभ स्थिति का प्रभाव
उच्चस्थिति में शनि न्यायप्रियता, धैर्य, गंभीरता, सत्यनिष्ठा और परिश्रमशीलता जैसे उत्तम गुणों का विकास करता है। हालांकि सफलता में कुछ विलंब अवश्य रहता है, किंतु प्रयासों का फल अवश्य मिलता है।
वहीं अशुभ स्थिति में शनि रुकावटें, आर्थिक हानि, बीमारी, मानसिक तनाव, भय, चिंताएँ तथा अन्य बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह कर्म परीक्षा का काल माना जाता है।
साढ़ेसाती और ढैय्या: परीक्षा की घड़ी
शनि की साढ़ेसाती जो लगभग साढ़े सात वर्ष तक चलती है व्यक्ति के लिए विशेष आत्ममंथन और कर्मफल का समय माना जाता है। इसी प्रकार ढैय्या (ढाई वर्ष) भी जीवन में चुनौतियों और सुधार के अवसर लेकर आती है।
2025 का शनि गोचर: किन राशियों पर प्रभाव
29 मार्च 2025 को शनि कुंभ से मीन राशि में गोचर कर चुके हैं। यह स्थिति आगामी ढाई वर्ष तक प्रभावी रहेगी।
साढ़ेसाती: मेष, मीन और कुंभ
ढैय्या: सिंह एवं धनु
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इन राशियों के जातकों के लिए यह काल कर्मपरीक्षा, आत्मसंयम और धैर्य की आवश्यकता वाला होगा।
शनि को प्रसन्न करने के पारंपरिक उपाय
शनि दोष एवं कष्टों की शांति हेतु
शनिवार को “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र जप
काले तिल, काला कपड़ा, सरसों तेल का दान
छाया दान
हनुमान जी की आराधना
पीपल वृक्ष पर जल अर्पण
सत्य, न्याय और अनुशासनपूर्ण आचरण
शर्मा बताते हैं कि शनि की दशा में धैर्य, परिश्रम, संयम, शुचिता और करुणा जैसे गुण जीवन को सकारात्मक दिशा देते हैं।
ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा का कहना है कि शनि ग्रह जीवन में संघर्ष अवश्य देता है, किंतु वही संघर्ष सफलता और स्थिरता की आधारशिला बनते हैं। उचित आचरण, सकारात्मक कर्म एवं सरल उपायों के माध्यम से शनि की अनुकंपा प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिषीय मान्यता है कि शनि व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देता है, इसलिए सजग और न्यायसंगत व्यवहार ही इसके शुभ फल का सबसे बड़ा आधार माना गया है।
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