मानक पब्लिकेशन दिल्ली से प्रकाशित किताब को संतोष सिंह ने सीएम विष्णु देव साय,विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह और डीजीपी अरुण देव गौतम को भेंट की
रायपुर। पुलिस मुख्यालय में डीआईजी सीसीटीएनएस-एससीआरबी के रूप में पदस्थ आईपीएस डॉ. संतोष सिंह की अंतरराष्ट्रीय विषय पर लिखी गई किताब का दिल्ली के प्रतिष्ठित मानक पब्लिकेशन से प्रकाशन हुआ है। किताब का विषय है संयुक्त राष्ट्र के शांति सुदृढ़ीकरण प्रयास डॉ. सिंह ने अपनी यह शोधपरक कृति मुख्यमंत्री विष्णु देव साय विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और डीजीपी आईपीएस अरुण देव गौतम को भेंट की।

डॉ. सिंह की यह किताब दुनिया भर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों की गहराई से पड़ताल करती है। इसमें शीत युद्ध के बाद के दौर में शांति-रक्षा पीसकीपिंग और शांति-स्थापना पीसीमेकिंग से आगे बढ़ते हुए शांति-सुदृढ़ीकरण पीसबिल्डिंग की अवधारणा को विस्तार से समझाया गया है। पुस्तक यह दर्शाती है कि स्थायी शांति केवल युद्धविराम से नहीं बल्कि संवाद पुनर्निर्माण और विश्वास निर्माण से संभव होती है।

डॉ. सिंह ने अपने शोध में यह भी बताया है कि संयुक्त राष्ट्र के पीसबिल्डिंग कमीशन द्वारा चलाए जा रहे मिशन आज संघर्षग्रस्त देशों में स्थिरता की नई राह खोल रहे हैं। यह किताब नीति-निर्माताओं, कूटनीति के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सुरक्षा अध्ययन से जुड़े पेशेवरों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
भारत के योगदान पर भी किताब में विस्तृत चर्चा की गई है। 1950 से अब तक भारत ने 49 शांति मिशनों में सक्रिय भागीदारी की है, जिनमें लगभग दो लाख शांतिसैनिकों ने सेवाएँ दी हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में तीसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में विश्व मंच पर अपनी प्रतिबद्धता को सशक्त रूप में प्रस्तुत करता है।

डॉ. संतोष सिंह ने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने जेएनयू नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और बीएचयू, वाराणसी से राजनीतिशास्त्र में एमए किया है। एमफिल के दौरान उनका शोध विषय था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों की भागीदारी। उनके अनेक शोध-पत्र राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं।
डॉ. सिंह की यह कृति न केवल वैश्विक शांति की दिशा में भारत की भूमिका को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्ची शांति केवल समझौते से नहीं बल्कि न्याय विकास और साझी मानवता से संभव है।
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