बिलासपुर. हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पत्नी द्वारा पति को ‘पालतू चूहा’ जैसे ताने देने को मानसिक क्रूरता माना है. पत्नी 15 साल पहले ही घर छोड़ गई थी. कोर्ट ने पति-पत्नी के तलाक को बरकरार रखते हुए बेटे के भरण-पोषण के लिए पिता को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है.
रायपुर के दंपती की शादी 28 जून 2009 को हुई थी. शादी के एक साल बाद 5 जून 2010 को उनका एक बेटा हुआ* पति ने आरोप लगाया कि, पत्नी ने उसके माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया और अलग रहने की जिद करने लगी. पति का कहना था कि, जब उसने इसका विरोध किया तो पत्नी ने आक्रामक व्यवहार शुरू कर दिया और कई बार शारीरिक नुकसान भी पहुंचाया* पति ने बताया कि माता-पिता की बात मानने पर पत्नी उसे अपमानजनक तरीके से ‘पालतू चूहा’ कहकर ताना मारती थी.
पत्नी का व्यवहार मानसिक प्रताड़ना का कारण
हाईकोर्ट ने माना कि, पत्नी का व्यवहार पति के लिए लगातार मानसिक प्रताड़ना का कारण बना* मौखिक अपमान और माता-पिता से अलग करने की जिद ने वैवाहिक संबंधों को असंभव बना दिया। इसलिए तलाक को बरकरार रखा गया। हालांकि, बेटे की परवरिश को ध्यान में रखते हुए पिता को हर माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया है।
पति ने फैमिली कोर्ट रायपुर में तलाक की याचिका दायर की थी. गत 23 अगस्त 2019 को फैमिली कोर्ट ने दोनों का तलाक मंजूर किया था , हालांकि, पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. पति ने कोर्ट में कहा कि 24 अगस्त 2010 को तीजा के मौके पर पत्नी मायके चली गई और उसके बाद कभी वापस नहीं लौटी.
हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान एक टेक्स्ट मैसेज को भी अहम सबूत माना गया.

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