बिलासपुर। हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में मिशन अस्पताल प्रबंधन की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने जिला प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई को सही ठहराया है। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एके प्रसाद ने फैसला सुरक्षति रख लिया था। जस्टिस श्रीवास्तव ने अपने फैसले में प्रबंधन के रवैये को लेकर नाराजगी भी जताई है। कमिश्नर कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए क्रिश्चियन वूमन बोर्ड ऑफ मिशन व नितिन लारेंस ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।कोर्ट ने नितिन लारेंस द्वारा पेश पॉवर ऑफ अटॉर्नी को भी मानने से इंकार कर दिया है।
मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में हुई। मिशन अस्पताल को लीज पर दिया गया। था। लीज साल 2014 में खत्म हो गई है। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया। नवीनीकरण के लिए पेश किए गए आवेदन को नजूल कोर्ट ने 2024 में खारिज कर दिया। नजूल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए मिशन प्रबंधन ने कमिश्नर कोर्ट में अपील दायर की थी। कमिश्नर कोर्ट ने मिशन की अपील खारिज कर दी थी। कमिश्नर कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मिशन अस्पताल परिसर की जमीन क्रिश्चियन वुमन बोर्ड को आबंटित की गई थी। इस जमीन पर मिशन अस्पताल खोला गया। बाद में अस्पताल परिसर की जमीन का व्यावसायिक उपयोग करते हुए उसे किराए पर चढ़ा दिया। जिला प्रशासन ने लीज निरस्त होने के बाद मिशन अस्पताल की जमीन पर कब्जा करने की तैयारी शुरू की। कलेक्टर के इस आदेश के खिलाफ अस्पताल प्रबंधन ने कमिश्नर कोर्ट में अपील की।अपील खारिज होने के बाद क्रिश्चियन वूमन बोर्ड ऑफ मिशन व नितिन लारेंस ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।कोर्ट ने नितिन लारेंस द्वारा पेश पॉवर ऑफ अटॉर्नी को भी मानने से इंकार कर दिया है।

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