विधानसभा सत्र और वेटिंग इन मिनिस्टर
विधानसभा के मानसून सत्र की घोषणा हो गई है। विधानसभा से तिथि भी तय कर दी गई है। इस बीच एक खबर फिर आने लगी है कि सीएम साय के मंत्रिमंडल में मेंबरों की संख्या बढ़ने वाली है। खबर फैलते ही वेटिंग इन मिनिस्टरों के निवास पर समर्थकों से लेकर ना जाने और कितने लोगों की आवाजाही बढ़ गई है। कहते हैं ना उम्मीदों पर दुनिया टिकी है। उम्मीद ही तो है जिसके सहारे कहां से कहां तक जा सकते हैं और क्या नहीं पा सकते। उम्मीद ही तो है जिसके सहारे सब हो रहा है। इन सबसे परे समर्थकों की खुशी का ठिकाना नहीं है। वेटिंग इन मिनिस्टरों की ओर नजरें दौड़ाने पर पाते हैं कि धुकधुकी बढ़ी हुई है। बीपी है कि कंट्रोल होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सरकार बनने से लेकर अब तक वेट ही तो कर रहे हैं। मन में बात आती ही है कि फिर कहीं कुछ हो गया तो। विरोध हो गया तो। और कुछ हो गया तो। मन है कि मानता ही नहीं और समर्थक हैं कि मान ही नहीं रहे हैं। इन दोनों के बीच की स्थिति का अंदाजा आप नहीं लगा सकते। ये तो वेट करने वाले माननीय ही जान और समझ सकते हैं।
अफसरों की मेजबानी में योग की चल रही तैयारी
कल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। सरकारी कार्यक्रम के अलावा संगठनों के बैनर तले भी कार्यक्रमों का आयोजन होगा। सरकारी कार्यक्रम बहतराई के स्व बीआर यादव इनडोर स्टेडियम में होगा। सरकारी कार्यक्रम है तो तैयारी भी सरकारी स्तर पर होनी शुरू हो गई है। कलेक्टर से कमिश्नर और एसपी से लेकर आईजी सब इन्वाल्ब हैं। होना भी चाहिए। जरा भी ऊपर नीचे होने का मतलब सरकार की नाराजगी मोल लेना है। आईएएस और आईपीएस लाबी यह सब अच्छी तरह जानते और समझते हैं। तभी तो बीते एक सप्ताह से योग की तैयारी चल रही है। नाश्ता से लेकर पानी और आने जाने सब की व्यवस्था में जुटे हुए हैं। प्रशासन का पूरा अमला और पूरा विभाग ही मेजबानी में जुटा हुआ है। स्वाभाविक बात है। मेजबानी तो करनी ही पड़ेगी। मेजबानी में कमी भी नहीं रहनी चाहिए। पता नहीं कौन सा मेहमान किस बात पर नाराज हो जाए। नाराजगी का मतलब तो सब समझते ही हैं। योग का कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ कि बोरिया बिस्तर तो बंध ही जाएगा। वैसे भी बैन हट गया है।
माफियाओं पर जारी है प्रहार
पहले शराब फिर ड्रग्स और अब रेत माफिया। तीन तरह के माफियाओं से बिलासपुर की पुलिस अकेले निपट रही है। निपटना भी जरुरी था। ड्रग्स के खिलाफ देश में अपनी तरह की पहली और बड़ी कार्रवाई भी हमारी ही पुलिस ने की है। सफेमा कोर्ट से आदेश जारी करा लेना कोई हंसी मजाक का खेल नहीं है। हमने और आपने सबने पहली बार सफेमा कोर्ट का नाम सुना है। सफेमा से ड्रग्स माफियों पर नकेल कसा जाता है। तभी तो ड्रग्स के धंधे से स्टेट बनाने वाले माफियाओं की संपत्ति फ्रीज की जा रही है। संपत्ति फ्रीज कराने का काम भी पुलिस ने ही शुरू की है। ड्रग्स के बाद शराब माफियाओं और कोचियों पर शिकंजा कसने के बाद अब बारी रेत माफियाओं की है। माफियाओं के खिलाफ छत्तीसगढ़ में इतनी बड़ी कार्रवाई इसके पहले कभी नहीं हुई। कलेक्टर और एसपी सीधे सड़क पर उतर आए। रातों-रात ताबड़तोड़ कार्रवाई। बात सीएम हाउस तक पहुंची। बिलासपुर अब रोल माडल बन गया है। बिलासपुर से खनिज माफियाओं के खिलाफ शुरू हुआ प्रहार अब प्रदेशभर में शुरू हो गया है। काम हो तो ऐसा जिसमे नाम भी हो और आगे रोल माडल भी बन जाए।
लापतागंज के इस विभाग के अफसरों की मौजा ही मौजा
लापतागंज के नाम से प्रसिद्धी पाने वाले आबकारी विभाग के अफसर और मैदानी अमला बिना काम के सैलरी पा रहे हैं। गांव-गांव में शराब बन रहा है,कोचियों और माफियाओं की बल्ले-बल्ले हो रहा है। अपना काम करने के बजाय अफसर और अमला कर क्या रहा है,यह रिसर्च की बात है। आबकारी विभाग का काम अब पुलिस करने लगी है। अपने काम के अलावा शराब पकड़ने और गड़बड़ी करने वालों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का जिम्मा भी उठा रहे हैं। आबकारी के अफसर नींद में है,तभी तो अब किराना दुकानों में भी शराब की बोतले बिकने लगी है। यह तो अंधेरगर्दी के अलावा और कुछ भी नहीं है। अंदाजा लगाइए किराना दुकान में जरुरत का सामान लेने जाने वाली बेटियों और महिलाओं के साथ कहीं कुछ हो गया तो जिम्मेदारी किसकी होगी। लापतागंज के अफसरों को अब तो जागना ही होगा।
अटकलबाजी
राज्य सरकार ने तबादला से प्रतिबंध हटा दिया है। तीन साल वाले अधिकारी से लेकर बाबुओं की लिस्ट बनने लगी है। सबसे ज्यादा लिस्ट बनाने का काम कहां चल रहा है। सूची बनाने के बाद मोबाइल से संपर्क का खेल भी चल रहा है। पता लगाइए कितने लोगों को संपर्क की जिम्मेदारी दी गई है। संपर्क के बहाने वसूली का क्या अपडेट है।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में एक आईएएएस अफसर की शिक्षिका बेटी के साथ भी अफसरों ने नाइंसाफी कर दी है। चहेतों को बचाने के लिए आईएएस की शिक्षिका बेटी को अतिशेष की सूची में डालकर तबादला कर दिया है। अब आगे क्या होगा। शिक्षा विभाग के अफसरों पर कड़ाई हुई तो मानकर चलिएगा कैडर ने अपना काम कर दिया है।

प्रधान संपादक
