एसएसपी रजनेश सिंह ने मुहिम को दी धार दी, चलाया चेतना अभियान चलाया दिखने लगा रंग
बिलासपुर। जिले में नशे के कारोबार के खिलाफ चल रहे अभियान का असर अब ज़मीन पर दिखाई देने लगा है। शहर में नशीले इंजेक्शन बेचने वाले या तो जेल पहुंच चुके हैं या भूमिगत हो गए हैं। पुलिस की सख्त कार्रवाई और इंड-टू-इंड जांच के चलते अब बाहरी सप्लायर भी बिलासपुर में नशीली दवाएं भेजने से कतरा रहे हैं। नतीजतन, नशे की लत के शिकार लोगों को अब नशीले इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे वे इलाज के लिए अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।

सिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि नशीले इंजेक्शन की लत में फंसे लोगों को जब नशा नहीं मिलता तो उन्हें शारीरिक और मानसिक तकलीफें होने लगती हैं। ऐसे मरीजों का इलाज सिम्स के ओएसटी (ओपियॉइड सब्स्टीट्यूशन थेरेपी) सेंटर में किया जा रहा है। यहां वर्तमान में 611 मरीज रजिस्टर्ड हैं और प्रतिदिन 190 से 210 मरीज ओएसटी की दवा लेने पहुंचते हैं। मरीजों को दवा सेंटर में ही दी जाती है ताकि दुरुपयोग न हो। बीते कुछ महीनों में नए मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। दो साल पहले जहां हर महीने तीन से चार मरीज पंजीकृत होते थे, अब यह संख्या सात से आठ पहुंच गई है। नशे के खिलाफ यह सख्त कार्रवाई निजात अभियान के तहत शुरू हुई थी, जिसकी पहल तत्कालीन एसएसपी संतोष सिंह ने की थी। अभियान के तहत नशे के कारोबारियों पर लगातार कार्रवाई हुई और सामाजिक जागरूकता भी फैलाई गई।

वर्तमान एसएसपी रजनेश सिंह ने इस मुहिम को और धार दी है। उनके नेतृत्व में चेतना अभियान चलाया गया जिसमें नशे के दुष्प्रभावों को लेकर जनजागरण किया गया और नशे से कमाई गई संपत्तियों की भी जांच शुरू की गई। फॉरेंसिक ऑडिटर की मदद से ऐसी संपत्तियों की जानकारी एकत्र कर सफेमा कोर्ट से जब्ती के आदेश भी लिए गए। एसएसपी रजनेश सिंह ने कहा कि नशे की लत युवाओं को अपराध की ओर धकेल रही है, जो समाज के लिए बेहद चिंताजनक है। पुलिस की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और नशे के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। आओ संवारे अपना कल कार्यक्रम के जरिए बच्चों को खेलों से जोड़ा जा रहा है ताकि वे नशे से दूर रहें। आने वाले समय में इसके और सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

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