Explore

Search

June 2, 2025 10:23 pm

R.O.NO.-13250/13

परिवार न्यायालय के फैसले को हाई कोर्ट ने किया खारिज

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए भरण-पोषण के आदेश को रद्द कर दिया है। रायपुर निवासी युवक की शादी वर्ष 2019 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी। विवाह के कुछ समय बाद पत्नी ने पति पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए वर्ष 2021 में उसका घर छोड़ दिया और अपने भाई के घर जाकर रहने लगी। इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की, वहीं पत्नी ने भरण-पोषण की मांग करते हुए अलग से याचिका लगाई। पत्नी ने आरोप लगाया कि पति चरित्र पर संदेह करता है और मानसिक यातना देता है, इसलिए वह घर छोड़कर चली गई।
पति ने जवाब दाखिल करते हुए आरोप लगाया कि उसकी पत्नी के उसके छोटे भाई से विवाहेतर संबंध हैं। उसने यह भी कहा कि उसकी पत्नी अन्य युवकों से भी संपर्क में है और जब उसने आपत्ति की, तो पत्नी ने झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी दी और कुछ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज करवाए। फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें और साक्ष्य सुनने के बाद व्यभिचार को आधार मानते हुए तलाक की डिक्री पति के पक्ष में पारित की, लेकिन पत्नी को आंशिक राहत देते हुए मासिक 4000 भरण-पोषण देने का आदेश भी दिया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि, एक बार जब विवाहेतर संबंध (व्यभिचार) को आधार मानकर तलाक की डिक्री दी जा चुकी है, तो यह इस बात का प्रमाण है कि पत्नी व्यभिचार में रह रही थी। ऐसी स्थिति में वह पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का तलाक संबंधी निर्णय साक्ष्यों के आधार पर लिया गया था और उसे चुनौती नहीं दी गई। इसलिए यह मानना न्यायोचित होगा कि पत्नी व्यभिचार में थी और इस आधार पर भरण-पोषण से वंचित रहेगी।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

CRIME NEWS

BILASPUR NEWS