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December 7, 2025 1:57 pm

लोक अदालत ने बिखरे परिवारों को जोड़ा, मुस्कान के साथ लौटे दंपत्ति

बिलासपुर। नेशनल लोक अदालत में शुक्रवार का दिन कई परिवारों के लिए नई शुरुआत लेकर आया। कुटुंब न्यायालय में पहुंचे दंपत्तियों को न्यायालय की समझाइश ने फिर से एक कर दिया। लंबे समय से आपसी विवाद के कारण अलग रह रहे सात परिवारों को एक साथ जोड़ने में अदालत सफल रही। करीब 20 मामलों में सुलह की प्रक्रिया चलाई गई, जिनमें सात में दंपत्तियों ने साथ रहने का निर्णय लिया।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित इस नेशनल लोक अदालत में कुल 84 मामलों की सुनवाई की गई। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आलोक कुमार, प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश निरंजन लाल चौहान और द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश स्वर्णलता टोप्पो की खंडपीठ ने मामलों की सुनवाई की। विवाद सुलझाने में न्यायमित्र एएस कुरैशी, प्रशांत गणोकर सहित अन्य सदस्य सक्रिय रहे।
मां-भाभी को सहारा देने पर अलग हुई पत्नी, फिर जोड़ा परिवार
सीपत क्षेत्र के एक मामले में युवक अपनी माता और भाभी की देखरेख कर रहा था। पत्नी को यह स्वीकार नहीं था और वह सात साल से चार बच्चों के साथ अलग रह रही थी। इस बीच बेटियों की शिक्षा प्रभावित होने लगी, तो उन्होंने मां को समझाया। अदालत में मामले की सुनवाई के बाद महिला को समझाइश दी गई। इसके बाद वह पति और बच्चों के साथ रहने को राजी हो गई।

चार साल से अलग रह रहे दंपत्ति लौटे साथ
सरकंडा के चिंगराजपारा की एक महिला अपने पति से चार साल से अलग रह रही थी। दोनों के तीन बच्चे हैं। पति ने पत्नी और बच्चों को साथ रखने की गुहार लगाई थी। न्यायालय ने दोनों पक्षों को समझाया कि आपसी विवाद बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है। इसके बाद महिला पति के साथ रहने के लिए तैयार हुई और अदालत से ही अपने घर रवाना हुई।

बच्चे से मिलने को मिला हक
कोरबा की एक महिला और बिलासपुर के युवक के बीच मतभेद के चलते महिला तीन साल से बेटे के साथ अलग रह रही थी। युवक ने बच्चे से मिलने के लिए अदालत की शरण ली। लोक अदालत ने बच्चे की कम उम्र को देखते हुए मां के पास रहने का आदेश दिया, लेकिन पिता को महीने में दो बार मिलने की अनुमति दी। इससे पिता को अपने बच्चे से जुड़ने का अवसर मिला।

दो साल से अलग रह रहे जोड़े में फिर बनी बात
सीपत के झलमला निवासी युवक और बांकिमोंगरा की युवती दो साल से अलग रह रहे थे। युवक पत्नी को वापस लाने की कोशिश कर रहा था। अदालत ने दोनों को समझाइश दी और साथ रहने के लिए प्रेरित किया। अंततः दोनों ने फिर साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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