बिलासपुर। मौजा मोपका स्थित शासकीय चरनोई भूमि (खसरा नंबर 1053/1) को कब्रिस्तान हेतु आवंटित किए जाने के प्रयास का विरोध तेज हो गया है। सनातनी हिंदू समाज ने इस आवंटन को अवैध बताते हुए अधिवक्ता निखिल शुक्ला के माध्यम से तहसीलदार बिलासपुर को विधिवत आपत्ति पत्र सौंपा। समाज के प्रमुख सदस्यों का कहना है कि यह भूमि निस्तार पत्रक में चरनोई भूमि के रूप में दर्ज है और दशकों से स्थानीय पशुपालकों द्वारा चराई के लिए उपयोग की जाती रही है। बिना उचित विधिक प्रक्रिया के इस भूमि का आवंटन ग्रामवासियों के अधिकारों का अतिक्रमण होगा।

आपत्ति के प्रमुख बिंदु
1. चरनोई भूमि के रूप में दर्ज – आपत्तिकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह भूमि निस्तार पत्रक में चराई मद में दर्ज है और इसे किसी विशेष समुदाय को आवंटित करना नियमों का उल्लंघन होगा।
2. जनसामान्य के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव – भूमि स्थानीय पशुपालकों के लिए आवश्यक है, इसका किसी अन्य उपयोग के लिए आवंटन उनकी आजीविका पर असर डालेगा।
3. आवंटन की प्रक्रिया विधिसम्मत नहीं – बिना सार्वजनिक नोटिस, ग्राम सभा की सहमति और प्रशासनिक अनुमति के भूमि का आवंटन किया जा रहा है, जो नियमों के विरुद्ध है।
4. सामाजिक समरसता पर प्रभाव – बिना व्यापक विमर्श के यह भूमि कब्रिस्तान हेतु आवंटित करने से सामाजिक सौहार्द्र प्रभावित हो सकता है।
5. हिंदू बहुल क्षेत्र में कब्रिस्तान का आवंटन अनुचित – स्थानीय क्षेत्र हिंदू बहुल है, ऐसे में इस भूमि का कब्रिस्तान के रूप में उपयोग जनभावनाओं के विपरीत होगा और विवाद उत्पन्न हो सकता है।
प्रमुख आपत्तिकर्ता
इस आपत्ति पत्र को दर्ज कराने वालों में गोपाल तिवारी, पुखराज, प्रवीण गुप्ता, अभिषेक ठाकुर, युवराज तोड़ेकर, आकाश सरकार, प्रिंस वर्मा, राजा पांडेय, मनीष वर्मा, काली मिश्रा, अविनाश मोटवानी और ओंकार कश्यप शामिल हैं। सभी ने इस भूमि को जनहित में संरक्षित रखने की मांग की है।

अधिवक्ता निखिल शुक्ला का बयान
अधिवक्ता निखिल शुक्ला ने कहा,
“यह भूमि मूलतः चरनोई भूमि के रूप में दर्ज है और इसे बिना निस्तार पत्रक से पृथक किए किसी भी समुदाय को आवंटित करना विधि का उल्लंघन है। यह प्रशासनिक प्रक्रियाओं के विपरीत है और इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। यदि इस पर उचित निर्णय नहीं लिया गया, तो हम इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।”
सनातनी हिंदू समाज ने प्रशासन से इस आवंटन को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी कि यदि इस आपत्ति पर उचित विचार नहीं किया गया तो न्यायालय में चुनौती दी जाएगी और विधिक कार्रवाई की जाएगी।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief