बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बिलासपुर प्रवास के दौरान जो कुछ कहा उसके बाद एक बार फिर कांग्रेस की राजनीति गरमा गई है। सिंहदेव के बयान के बाद पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का दिल्ली कूच करना और आदिवासी अध्यक्ष का मुद्दा उछलाना। यह सब ना तो संयोग है और ना ही महज इत्तेफाक। सब-कुछ सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। दिल्ली की दौड़ और बड़े नेताओं के बीच संपर्क साधना किसके इशारे पर हो रहा है और दिल्ली में यह सब व्यवस्था कौन कर रहे हैं, कांग्रेसी राजनीति के जानकारी अच्छी तरह जानते और समझते हैं। एक बार फिर सिंहदेव की राह पर कांटा बिछाने की कोशिशें शुरू हो गई है।
बीते दिनों पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव बिलासपुर प्रवास पर आए थे। पीसीसी के पूर्व सचिव पंकज सिंह के यहां दोपहर भोजन के लिए गए थे। सिंहदेव के प्रवास की सूचना मिलते ही जिले के दिग्गज नेता भी पंकज सिंह के निवास पर पहुंच गए थे। पूर्व डिप्टी सीएम सभी से सहजता के साथ मिल रहे थे। इस बीच मीडिया से उनकी औपचारिक चर्चा भी हुई। चर्चा के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या वे नेता प्रतिपक्ष डा चरणदास महंत के इस बयान से इत्तेफाक रखते हैं कि प्रदेश में पांच साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव उनकी सरपरस्ती में होगा। मसलन बतौर पीसीसी चेयरमैन वे मोर्चा संभालेंगे और कांग्रेस को सत्ता वापसी में मदद करेंगे।

बिना किसी भूमिका बांधे सिंहदेव ने तब कहा था कि वे हमेशा से ही आलाकमान के निर्देशों व निर्णयों का पालन करते रहे हैं। आगे भी दिल्ली जो चाहे व जिस तरह की जिम्मेदारी दे,निभाने को तैयार हैं। मतलब साफ था प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं। उनका इतना कहना था कि प्रदेश की राजनीति खासकर कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर गरमा गई। जाने अनजाने पीसीसी अध्यक्ष को लेकर एक बार फिर चर्चा छिड़ गई। कांग्रेसजनों की जुबान पर ही यह बात आने लगी कि दीपक बैज की जगह कौन। स्वाभाविक रूप से सिंहदेव का नाम सबसे पहले आने लगा। बस यहीं से कांग्रेस की सियासत में एक बार फिर खेला हो गया। उत्तर छत्तीसगढ़ की राजनीति में कांग्रेस सरकार के दौर पर एक नाम सबसे ज्यादा प्रभावशाली बन गया था। उत्तर छत्तीसगढ़ में पूरे पांच साल उनकी जमकर चली। पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत। तब पांच साल भगत बनाम सिंहदेव हो गया था। यह उत्तर छत्तीसगढ़ की राजनीति में देखने और सुनने दोनों ही मिला। भगत एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का दिल्ली कूच करना और दिल्ली में बड़े नेताओं से मिलकर लाबिंग करना यह सब किस ओर इशारा कर रहा है,यह सभी जानते हैं। सिंहदेव की राह पर रोड़ा अटकाने की राजनीतिक कोशिशें एक बार फिर शुरू हो गई है।
अमरजीत के इस बयान के क्या मायने

नगरीय निकाय चुनाव के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर अमरजीत भगत की वह बयान सबने पढ़ा ही होगा,जिसमें उन्होंने आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष की बात सामने लाते हुए पीसीसी चेयरमैन दीपक बैज का जमकर बचाव किया था। बातों ही बातों में उन्होंने दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की कलई भी खोलकर रख दी थी और कहा था कि अपने क्षेत्रों में नेता देखें कि कांग्रेस कहां पर है। इसकी जिम्मेदारी तो उनको ही लेना चाहिए।
दिल्ली में मजबूत हुए बघेल
कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को एआईसीसी का महासचिव बनाने के साथ ही पंजाब का प्रभारी बना दिया है। राष्ट्रीय राजनीति में बघेल का कद बहुत बढ़ा है। समर्थक उत्साहित हैं। दिल्ली में मजबूत पकड़ के बीच प्रदेश की राजनीति में उनका कितना दखल रहता है या फिर किस हद तक दखलंदाजी रहती है,यह देखने वाली बात होगी।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief