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March 13, 2025 11:12 pm

IAS Coaching

भोपाल में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस, देशभर से 20 प्रोजेक्ट चुने गए

बिलासपुर के दिव्यवीर की ‘द गार्जियन स्टिक’ समेत प्रदेश से 4 प्रोजेक्ट का चयन

कलेक्टर अवनीश शरण से मिलकर उन्हें प्रादर्श की दी गई जानकारी

बिलासपुर। राष्ट्रीय स्तर के लिए बिलासपुर के छात्र दिव्यवीर ने ‘द गार्जियन स्टिक’ का निर्माण किया है। इस स्टिक के बारे में लर्नर्स इंग्लिश मीडियम के छात्र दिव्यवीर और उनकी प्रिंसिपल निवेदिता शोम, टीचर रीता मौर्य ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंच कलेक्टर अवनीश शरण और पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह से मिलकर प्रादर्श की जानकारी दी। छात्र और गुरुजनों ने स्टिक को वृद्धजनों,दिव्यागों खासकर दृष्टिबाधितों के लिए उपयोगी बताया। इसके इस्तेमाल से उनका चलना-फिरना तो आसान होगा ही। अचानक आई आपदा से भी वे निपट सकेंगे। इसमें सेंसर के साथ झटका देने वाला डिवाइस है। इससे छोटे-मोटे जीव जंतु को दूर भगाया जा सकता है। वहीं हादसे का शिकार होने पर छड़ी के जरिए दिव्यांग के परिजन को इसकी खबर लग जाएगी। कलेक्टर और एसपी ने प्रादर्श को तैयार करने वाले छात्र की प्रशंसा करते हुए उसे बधाई दी।

31वें राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के चार बाल वैज्ञानिकों ने अपना परचम लहराया है। इसमें बिलासपुर के दिव्यवीर सिंह के ‘द गार्जियन स्टिक’, रायपुर की शिखा देवांगन के ‘ग्रेन प्रोटेक्शन पिल’, कोंडागांव की भूमिका पद्माकर के ‘कार्बन फुटप्रिंट’ और सूरजपुर की प्रतिमा प्रजापति के ‘मेकिंग हार्ड बोर्ड फ्रॉम मेज’ प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर के लिए चुन लिया गया है। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में पहली बार छत्तीसगढ़ से एकसाथ 4 प्रोजेक्ट का चयन किया गया है।

31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन मैप कास्ट, रविंद्र भवन भोपाल में 3 से 6 जनवरी तक किया गया। इसमें छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश व 4 खाड़ी देशों के बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रादर्श प्रदर्शित किए।

अपने प्रोजेक्ट दिखाए।

छत्तीसगढ़ से चयनित 16 बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट पेश किए। इनमें से छत्तीसगढ़ राज्य से चार उत्कृष्ट परियोजनाओं का चयन किया गया। इसमें ‘कार्बन
फुटप्रिंट’, मैंन प्रोटेक्शन पिल’, ‘मेकिंग हार्ड बोर्ड फ्रॉम मेज’ और ‘द गार्जियन स्टिक’ प्रोजेक्ट को उत्कृष्ट पाया गया। इनका चयन उत्कृष्ट 20 परियोजनाओं में हुआ है। बिलासपुर के दिव्यवीर सिंह को उनकी प्रिंसिपल निवेदिता शोम और स्कूल के अन्य टीचर का हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहा। यही वजह है कि छात्र ने कड़ी मेहनत के बाद एक बेहतर प्रोजेक्ट को बनाने में सफल हुआ है जिसकी प्रशंसा अब न सिर्फ देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होने वाली है क्योंकि जल्द ही इस प्रादर्श को पेटेंट कराने की कोशिश हो रही है।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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