सरकार बोली-हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटें माओवादी,बस्तर में तेज़ विकास से बढ़ा जनविश्वास
जगदलपुर।प्रतिबंधित भाकपा माओवादी द्वारा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी पीएलजीए की 25वीं वर्षगांठ के नाम पर जारी ताज़ा प्रेस नोट ने संगठन की वास्तविक स्थिति को उजागर कर दिया है। माओवादियों ने अपने ही दस्तावेज़ में स्वीकार किया है कि पिछले 11 महीनों में उनके 320 कैडर मारे गए हैं, जिनमें केंद्रीय समिति और राज्य समिति के सदस्य डिवीजनल कमांडर तथा पीएलजीए नेता भी शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्वीकारोक्ति संगठन में चल रही गहरी टूट, असंतोष और नेतृत्व संकट को स्पष्ट करती है।
बस्तर में माओवादी नेटवर्क तेजी से कमजोर
पुलिस सूत्रों के अनुसार केवल दण्डकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमिटी क्षेत्र में ही 11 महीनों के भीतर 243 माओवादी कैडरों की मौत हुई है। लगातार हो रहे आत्मसमर्पण, जनसमर्थन में भारी गिरावट और कई राज्यों में असफल ऑपरेशनों ने संगठन की पकड़ कमजोर कर दी है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह माओवादी आंदोलन के अपरिवर्तनीय पतन का संकेत है।
सर्वाधिक पीड़ा ग्रामीणों और आदिवासियों को
अधिकारियों ने कहा कि तथाकथित क्रांतिकारी आंदोलन के नाम पर जारी हिंसा का कोई औचित्य नहीं बचा है। इसके कारण सबसे अधिक नुकसान बस्तर के दूरस्थ इलाकों में रहने वाले निर्दोष ग्रामीणों, आदिवासियों युवाओं और महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। दशकों से विकास कार्यों में बाधा डालकर माओवादी गतिविधियों ने क्षेत्र को पिछड़ेपन और भय के दायरे में रखा है।
सरकार: समावेशी विकास और शांति के लिए प्रतिबद्ध
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक आईपीएस सुन्दरराज पट्टलिंगम ने बताया कि सरकार क्षेत्र के हर हिस्से में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में पहले माओवादी दखल के कारण बुनियादी सुविधाएँ नहीं पहुँच पाती थीं, वहाँ अब विकास की रोशनी पहुँच रही है और लोग आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
माओवादी कैडरों से आत्मसमर्पण की अपील
आईजी सुंदरराज़ ने सभी माओवादी कैडरों चाहे वे पीएलजीए से जुड़े हों या स्थानीय संगठनों और उच्च संरचनाओं में कार्यरत हों से आग्रह किया है कि वे हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटें। उन्होंने कहा कि हथियार डालने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए सम्मानजनक जीवन, सुरक्षा, पुनर्वास और आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध हैं।
बस्तर को चाहिए शांति, अवसर और विकास
आईजी सुंदरराज ने कहा कि बस्तर की जनता अब भय और रक्तपात नहीं बल्कि शांति और विकास चाहती है। उन्होंने माओवादी नेतृत्व से अपील की कि वे जमीनी सच्चाई को स्वीकार करें और क्षेत्र को स्थायी शांति तथा प्रगति की राह पर आगे बढ़ने दें।
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